Home बड़ी खबर आज के भारत में असंगठित मेहनतकश वर्ग का अस्सी फीसदी से ज्यादा हिस्सा दलितों/ उत्पीड़ित जनता और आदिवासी समुदाय का है – तुहीन।

आज के भारत में असंगठित मेहनतकश वर्ग का अस्सी फीसदी से ज्यादा हिस्सा दलितों/ उत्पीड़ित जनता और आदिवासी समुदाय का है – तुहीन।

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आज के भारत में असंगठित मेहनतकश वर्ग का अस्सी फीसदी से ज्यादा हिस्सा दलितों/ उत्पीड़ित जनता और आदिवासी समुदाय का है – तुहीन।

।। सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

नई दिल्ली/ रायपुर 27 अक्टूबर 2024 । जाति उन्मूलन आंदोलन के तुहीन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन में 1930 में पहली बार कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की पहल से एक “ड्राफ्ट प्रोग्राम ऑफ एक्शन ” बनाया गया था।जिसमें जाति व्यवस्था के उन्मूलन के कार्य को वर्ग संघर्ष के साथ चलाने पर विशेष जोर दिया गया था।लेकिन 1936 में जब डॉक्टर अम्बेडकर ने जाति उन्मूलन आंदोलन चलाने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी से गठबंधन करना चाहा तो डांगे के नेतृत्व वाले कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे वर्ग संघर्ष के कार्य में रुकावट समझ कर इंकार कर दिया।क्योंकि मुख्यधारा के कम्युनिस्ट अभी तक ये समझते हैं कि जाति,अधिरचना( सुपरस्ट्रक्चर) का हिस्सा है और क्रांति के बाद अपने आप जाति के सवाल का समाधान हो जाएगा।भारत के कम्युनिस्टों के बड़े हिस्से ने लेनिन के अनुसार देश की ठोस परिस्थिति का ठोस विश्लेषण नहीं किया।अगर करते तो वे देखते कि रूस और चीन में निर्मम जाति व्यवस्था नहीं थी,लेकिन भारत और नेपाल में है।ये जाति व्यवस्था,शोषित पीड़ित श्रमण परंपराओं वाली जनता के श्रम और उत्पादन का अतिरिक्त मूल्य/ बेशी मूल्य लूटने के लिए हजारों सालों से सनातनी मनुवादी शासक वर्गों ने सोच समझ कर बनाई थी ।इन दो वर्गों के बीच हजारों सालों से भारत में वर्ग संघर्ष चलता आया है।

इन्होंने आगे कहा कि आज के भारत में असंगठित मेहनतकश वर्ग का अस्सी फीसदी से ज्यादा हिस्सा दलितों/ उत्पीड़ित जनता और आदिवासी समुदाय का है जिन्हे महिलाओं को क्रूर मनुस्मृति ये दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने फासीवादी संगठन आरएसएस का वैचारिक आधार है के अनुसार शूद्र/ अतिशुद्र करार देकर गुलाम का दर्ज़ा दिया गया था।ये अगर देश में सर्वहारा या अर्ध सर्वहारा वर्ग नहीं है तो कौन है? अगर गहराई से देखेंगे तो पाएंगे कि भारत में जाति और वर्ग के बीच कोई चीन की दीवार नहीं है।देश में जनता की जनवादी क्रांति ( पीपल्स डेमोक्रेटिक रेवोल्यूशन) करने के लिए जरूरी है कि जाति उन्मूलन आंदोलन और लैंगिक समानता आंदोलन को वर्ग संघर्ष का अविभाज्य हिस्सा समझ कर संचालित करें।लेकिन उसके लिए खुले मन से जाति और वर्ग के बीच अंतर्संबंध को समझना पड़ेगा और लकीर( रूस और चीन का अंधानुकरण) का फकीर बनने से इनकार करना पड़ेगा।