।।खबर सिद्धार्थ न्यूज़ से नीलकांत खटकर।।
भाग 1
बिलासपुर 28 नवंबर 2023 ।हम आपको आज बताते हैं की बिलासपुर शहर के उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम में कैसे भूमाफियों का साम्राज्य स्थापित है।जिनके पास सन 2005 में पान, गुटखा,चाय पीने के लिए जेब में10 रू भी नहीं होते थे उनके पास आज की तारीख में चारों दिशाओं में दुबई देश की तरह कई भव्य इमारत बनाई गई है जहां कई बीबियां हैं,रखैल है, कई ऐसी ऐसी गाड़ियां हैं जो देश के प्रधानमंत्री को भी नसीब नहीं है। महंगी महंगी गाडियों में ये भूमाफिया हर रोज 10 हजार से 50 हजार रू कीमत तक की अंग्रेजी शराब सेवन कर पूरी शबाब में रातें रंगीन करते हैं। जिनके पास जेब में 10 रू भी नहीं होता था उनके पास इन 10 सालों में कहां से इतना बड़ा फंड आया?? क्या यह जांच का विषय नहीं है जो शासन और प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है? सन 2005 से 2015 की बात है राज्य में किसकी सरकार थीं शहर के कौन विधायक थे पूरे शहर वासी भली भांति जानते हैं। उस दौरान के जन प्रतिनिधि, राजस्व विभाग, अधिवक्ताओं और रजिस्ट्री अमलों ने खुद खूब करोड़ों कमाए और भूमाफियाओं को भी करोड़पति बनाने में अहम भूमिका निभाई।जानकर बताते हैं की उस समय जमीनी कारोबार रजिस्ट्री कार्यालय और राजस्व विभाग के कार्यालय के अंदर घुसकर सारे रिकार्ड को मन मर्जी से देखते थे और सारे राजस्व रिकार्ड को मोबाईल में कैद कर फोटोकॉपी कराकर कूट रचित करते थे इन भूमाफियों के लिए आधी रात को कार्यालय खुल जाता था यहां तक कि रजिस्ट्री कार्यालय के उच्च अधिकारी सारे राजस्व रिकार्ड को भूमाफिया के घर/ऑफिस ले जाकर रजिस्ट्री करते थे। उस समय राज्य की सरकार,राजस्व मंत्री और पुलिस क्या कर रही थीं जब राजस्व रिकार्ड में छेड़खानी कर मनमौजी से घास जमीन, सरकारी जमीन और किसी की निजी जमीन को अनजान गरीब लोगों के नाम पर चढ़ाकर फर्जी तरीके से पॉवर ऑफ ओटर्नी के आधार पर स्टाम्प बनाकर खूब जमीनें बेचकर करोड़ों अरबों कमाएं यहां तक कि रुपए के बल पर कोई भी जमीन को सीधे संबंधित के नाम पर चढ़ाया जाता था । मोबाईल में फोटो खींचकर राजस्व रिकार्ड रखते थे,कौन सीधे साधे हैं जिनकी जमीन हड़पी जा सकती किसकी जमीन कौड़ी के भाव में मिलेगी, कहां पर सरकारी जमीन है ,किसकी जमीन बेशकीमती है किसकी निजी जमीन है जो खाली पड़ी इसे कैसे हथियाए जाए इन सब की पड़ताल करते थे।ऐसे ज़मीनों को फर्जी तरीके से दूसरे के नाम पर चढ़ा कर अन्य को कैसे बेचना है षड्यंत्र रचते थे इसके लिए जमीन कारोबारी और सरकारी अमले एक साथ मीटिंग करते थे, षड्यंत्र रचते थे की कैसे करोड़ों रुपए कमाया जाए इसकी तरकीब निकालते थे। बड़े बड़े जमीन के कारोबारी और संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारी द्वारा मार्गदर्शन लिया दिया जाता था की जमीन को कौड़ी के भाव में कैसे भूमाफिया को देकर करोड़ों रू कैसे बटोरना है यह सब पैसे के बल पर हुआ।
इस पूरे मामले में उस वक्त कुछ राजस्व कार्यों में निपूर्ण और दक्ष हासिल अधिवक्ताओं और भूमाफियाओं का जरूर सहारा लिया जाता रहा होगा जो इतना बड़ा बिलासपुर शहर के चारों दिशाओं में घोटाला हुआ है इस घोटाले के गुनाहगार में ये भी निश्चित रूप से शामिल रहे होंगे जो इतना बड़ा गड़बड़झाला किया इनकी भी जरूर महत्वपूर्ण योगदान रही होगी जो आज सही जमीन की रजिस्ट्री,नामांतरण, सीमांकन पर सवाल उठाते हुए नामांतरण का विरोध कर रहे हैं खुद वे मीडिया को बता रहें हैं की फलां फलां जमीन में गड़बड़ी है इन्हीं अधिवक्ता के कहने पर मीडिया वाले बंधुओं को गुमराह कर वर्तमान सरकार,रजिस्ट्री कार्यालय और तहसील कार्यालय को बदनाम कर सारा ठीकरा फोड़ने खबर चलवाई गई ।ये अधिवक्ता उस समय के भूमाफिया के साथ में खूब पैसा कमाया आज उनके पास भी कार,बंगला और भारी मात्रा में बैंक बैलेंस है।इतना बड़ा घोटाला और फर्जीवाड़ा हुआ छ ग राज्य और रायपुर,बिलासपुर शहर के एबीसी, आईटी सेल, सीबीआई और ईडी कहां हैं जो पिछले 15 से 20 सालों तक इन पर कोई कार्यवाही नहीं कर रही है क्या इनको भी भारी मात्रा में पैसा देकर सम्मानित किया गया है जो आज भी आंख मूंदकर तमाशा देख रही है।आज इन सभी की करतूतों के कारण भोले भाले गरीब लोग जिन्होंने खून पसीने बहाकर आशियाना बनाने के लिए पाई पाई राशि जोडकर जमीन खरीदी,रजिस्ट्री की लेकिन ये अपने ही जमीन के नामांतरण, सीमांकन के लिए भटक रहे हैं और राजस्व विभाग के चक्कर काटने मजबूर हो रहे हैं।इनको न वर्तमान जन प्रतिनिधियों की मदद मिली न राजस्व विभाग का सहयोग मिला बल्कि बिलासपुर के वर्तमान राजस्व अधिकारी इनकी निजी जमीन को सरकारी जमीन कहकर नामांतरण के लिए टालमटोल कर रहे हैं। आपको बता दें की पूरे छ ग राज्य में बिलासपुर राजस्व विभाग राजस्व के लंबित मामले में सबसे आगे और चर्चित और सुर्खियों में है, इस जिले के राजस्व अधिकारी लंबित मामले को दबाने के लिए भी मामले खारिज कर दिया जाता है। सरकार और प्रशासन के सामने यह लंबित आंकड़ा न आ पाए आएं इसके लिए सही जमीन के सही प्रकरण को भी खारिज कर देते हैं और कलेक्टर के टी एल की मासिक बैठक में लंबित मामले को खारिज करके छुपाया जाता है कलेक्टर साहब भी इन लापरवाह राजस्व अधिकारियों की बात मान लेते हैं जबकि कलेक्टर जन दर्शन व भेंट मुलाकात में सबसे ज्यादा शिकायते राजस्व मामले की होती है। इस पर वर्तमान सरकार भी आंख मूंद लीं थी जिससे आम जनता लाचार और बेबस नजर आ रही है । सूत्रों की मानें तो इसके पीछे भी बहुत बड़ा कारण है राजस्व विभाग के आला अफसर ऐसी जमीनों को जानबूझकर विवादित बताती है ताकि जनता से खूब पैसा लूटा जा सके और इसकी आड़ में नामांतरण के लिए भारी भरकम राशि ली जाती है लेकिन यह काम भी आम जनता की बस की बात नहीं बल्कि उनके प्रकरण को किसी न किसी बहाना बनाकर खारिज कर दिया जाता है। ऐसे काम को सिर्फ वहीं खाश अधिवक्ता या भूमाफिया करा सकता है जो राजस्व अधिकारी के बहुत करीबी हैं।इन्हीं के सहारा लेकर आपका काम हो सकता है और ये दोनों माध्यम ही आपका काम करा सकता है।
टीप – हमने आपको 1 माह पहले वादा किया था कि बिलासपुर के जमीन घोटाला के बारे में,गरीब लोग अपनी जमीन के नामांतरण,सीमांकन के लिए कैसे और कितना परेशान हैं और सड़क छाप लोग कैसे करोडों की मालिक बने उसके बारे में विस्तार से रूबरू कराने को कहा था जिसे आज आपके सामने प्रस्तुत कर ही दिया। वोटिंग के पहले यदि इस खबर को हम लगाते तो कुछ राजनीतिक पार्टियां हम पर कई सवाल उठाते इस कारण हमने वोटिंग के बाद यह खबर चला रहे हैं।यदि किसी को इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया देना होगा या आगे की खबर में कुछ अंश जोड़ना होगा तो हमें इस मेल आईडी पर जरूर भेजें आपका नाम गुमनाम रहेगा। इंतजार करें आगे और भी इस मामले पर खबरे लगेंगी ,,,,,,,,,,,,,,,,,आगे की खबर के लिए हमारे साथ बनें रहें आशा है इस पूरे मामले में जरूर सहयोग करेंगे। धन्यवाद
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