Home बड़ी खबर भरथरी गायिका सुरुज बाई खाण्डे को अर्पित श्रद्धांजलि एवं श्रद्धा सुमन।

भरथरी गायिका सुरुज बाई खाण्डे को अर्पित श्रद्धांजलि एवं श्रद्धा सुमन।

भरथरी गायिका सुरुज बाई खाण्डे को अर्पित श्रद्धांजलि एवं श्रद्धा सुमन।


रिपोर्टर/तोषन प्रसाद चौबे/सिद्धार्थ न्यूज़
10 मार्च 2024 को अन्तर्राष्ट्रीय भरथरी गायिका सुरुज बाई खाण्डे जी की स्मृति दिवस पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए *सुरुज ट्रस्ट* ने संत गुरु घासीदास महाविद्यालय पचपेड़ी मस्तूरी में कार्यक्रम आयोजित किया था इस ट्रस्ट के अध्यक्ष सुश्री दीप्ति ओग्रे जी कहती हैं कि हमारे ट्रस्ट द्वारा ममतामयी कला साधिका खाण्डे जी को श्रद्धांजलि अर्पण करने के लिए एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित किया गया है ।जो कि सुरुज बाई खाण्डे जी के जीवनी और भरथरी गाथा एवं भरथरी गायन विधा पर आधारित है।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भरथरी गायिका श्रीमती रेखा जलक्षत्री जी , मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार श्री नंदकिशोर तिवारी जी पूर्व कुल सचिव गुरु घासीदास विश्वविद्यालय,विशिष्ट अतिथि श्री जितेन्द्र कुमार पाटले जी,संचालक संत गुरु घासीदास महाविद्यालय पचपेड़ी, श्री भरत मस्तुरिहा जी वरिष्ठ साहित्यकार, श्री गोवर्धन मार्शल जी वरिष्ठ साहित्यकार, समाज सेवी एवं लोक गायक हृदय प्रकाश अनंत जी प्रदेशाध्यक्ष सतनाम संस्कृति एवं सतनाम संगीत अकादमी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
कार्यक्रम में प्रथमत: सुरुज बाई खाण्डे जी छाया चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित के साथ सुरुज बाई खाण्डे जी को पुष्पांजलि अर्पित की गई जिसके बाद राजगीत गायन पर सभी सम्मान व्यक्त किए और पंथी नृत्य के साथ कार्यक्रम में एक अध्यात्मिक शांति और सूकुन स्थापित हुआ तत्पश्चात् भरथरी गायिका श्रीमती रेखा जलक्षत्री जी एव उनके शिष्य प्रांजल सिंह राजपूत जी के द्वारा भरथरी गीत की प्रस्तुति दी गई।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार श्री नंदकिशोर तिवारी जी ने अपने उद्बोधन में राजा भर्तृहरि की जन्म कथा एवं वैराग्य कथाओं को बहुत अच्छे ढंग से विस्तार पूर्वक बताया गया।साथ ही अलग-अलग प्रदेशों में उनकी प्रचलित लोक किंवदंतियां को भी आयोजित कार्यक्रम में बताया गया। लोक साधिका श्री मती सुरुज बाई खाण्डे जी एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश में किस शैली में लोक गाथा भर्तहरी यह भी बताया गया।
आयोजित कार्यक्रम साहित्यिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक उत्थान हेतु की गई है। कार्यक्रम की रूपरेखा के आधार पर आगे एक दिवसीय संगोष्ठी का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ जिसमें राजा भर्तृहरि की जीवन गाथा, प्रचलित किंवदंतियां,गायन शैली एवं छत्तीसगढ़ में लोक प्रचलित राजा भर्तृहरि की गाथा पर शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले थे। डॉ.राजेश कुमार मानस जी बिलासपुर,डॉ.गोकुल प्रसाद बंजारे जी,मिनेश साहू जी गंडई, श्री हर प्रसाद निडर जी दुर्गेश कर्माकर,डॉ.चंद्रशेखर खरे, सुनीता कुर्रे,ओम प्रकाश सोनवानी,डॉ.रविशंकर,मिलन मलरिहा,महेतरु मधुकर द्वारा शोध पत्र का वाचन किया गया। कार्यक्रम के आयोजन पर विशेष महती भूमिका श्री असकरण दास जोगी जी युवा साहित्यकार की रही।साथ ही उपस्थित साहित्यकारों द्वारा काव्य पाठ कराया गया एवं उपस्थित अतिथियों एवं साहित्यकारों को प्रतीक चिह्न अंग वस्त्र एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। आयोजित कार्यक्रम का समापन एवं आभार सुश्री दीप्ति ओग्रे द्वारा आभार एवं कुशल मंच संचालन श्री राहुल देव भारद्वाज जी किया गया।