।।खबर सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।
सरसीवा – रविवार को बहुला चौथ पूजन सम्पन्न हुआ वही आज मंगलवार को कमरछठ है । यह एक विशेष प्रकार का व्रत है जिसमे विशेष प्रकार के पूजा सामाग्री का उपयोग किया जाता है । साथ ही यह व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा पति एवं पुत्र की दीर्घायु के लिए किया जाता है । इस पर्व में भैसी का दूध ,दही ,घी का विशेष महत्व है साथ ही महुवा , महुवा का दातौन, पान ,काशी फूल ,विभिन्न प्रकार के भाजी का उपयोग पूजा में किया जाता है । कमरछठ जिसे हलषष्ठी व्रत कहते है जिनके कारण हल से जोत कर निकले चावल एवं भाजी का उपयोग नही करते हैं । व्रत धारी महिलाएं सामूहिक रूप से नियत स्थान पर इकट्ठा होकर एवं सगरी बनाकर पूजन करते है।शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी बहुला चौथ या बहुला चतुर्थी कहलाती है वही षष्ठी के दिन कमरछठ मनाया जाता है ।
सनातन संस्कृति का यह उद्देश रहा है की प्राणियों में सदभाव रहे और विश्व का कल्याण हो। हमारी संस्कृति में सभी जीव-जंतुओं के महत्व को स्वीकार किया है। धार्मिक दृष्टिकोण से बहुला चतुर्थी मूलतः गाय माता के पूजन का पर्व है। जिस प्रकार गाय माता अपना दूध पिलाकर मनुष्य को पोषित करती है उसी कृतज्ञता की भावना से हम सभी को गाय को सम्मान देकर पूजना चाहिए। बहुला चतुर्थी पूजन संतान प्रदायक तथा ऐश्वर्य को बढ़ाने वाला है। धार्मिक शास्त्रों में ऐसा वर्णित है की जीवन में माता से बढ़कर गौ माता का स्थान है। इस पूजन और उपाय से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। संतान के सुखों में वृद्धि होती है। घर-परिवार में सुख और शांति विद्यमान होती है। व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। व्यक्ति को मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है।