Home बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी एसटी वर्ग में कोटे के अंदर कोटा व क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के विरोध में 21 अगस्त को अनुसूचित जाति एवम् अनुसूचित जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारी रहेंगे सामूहिक अवकाश में।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी एसटी वर्ग में कोटे के अंदर कोटा व क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के विरोध में 21 अगस्त को अनुसूचित जाति एवम् अनुसूचित जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारी रहेंगे सामूहिक अवकाश में।

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी एसटी वर्ग में कोटे के अंदर कोटा व क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के विरोध में 21 अगस्त को अनुसूचित जाति एवम् अनुसूचित जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारी रहेंगे सामूहिक अवकाश में।

।। सिध्दार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

नई दिल्ली/रायपुर 20 अगस्त 2024 । सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति एवम् अनुसूचित जनजाति वर्ग के कोटे के अंदर कोटा व कोटे में भी क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के विरोध में 21 अगस्त को एससी एसटी वर्ग के अधिकारी कर्मचारी संघ सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला लिया है।इस संबंध में कर्मचारियों ने जिला कलेक्टर और एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है और ये भारत बंद के समर्थन में रहेंगे। संघ के सदस्यों ने बताया की सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अगस्त को दिए गए फैसले जिसमें अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कोटे के अंदर कोटा और कोट के अंदर क्रीमी लेयर निर्धारित करने का अधिकार राज्यों को देने निर्णय पारित किया है।ज्ञात हो की इस निर्णय से देश भर के अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग प्रभावित हो रहे हैं। वास्तव में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग के भीतर वर्गीकरण करने का अधिकार राज्यों को नहीं है, क्योंकि आर्टिकल 341 (2) एवं 342 (2) यह अधिकार देश के सांसद को देता है और यही बात ई वी चिनैया मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 2005 में कहा है। सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों 1 अगस्त 2024 के निर्णय में 7 जों में से एक जज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने 6 जजों के फैसले से असहमति जताते हुए अपना निर्णय उपवर्गीकरण और क्रीमीलेयर के खिलाफ दी है। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने 9 जजों की संवैधानिक पीठ इंदिरा साहनी मामले 1992 में जस्टिस जीवन रेड्डी के कथनको उद्धृत करते हुए निर्णय लिखी है कि क्रीमी लेयर टेस्ट केवल पिछड़े वर्ग तक सीमित है, अनुसूचित जातियों एवम् जनजातियों के मामले में इसकी कोई प्रासंगिकता नही है। आगे पिछड़ेपन को लेकर कहा कि सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन का परीक्षण या आवश्यकता अनुसूचित जातियों एवम जनजातियों पर लागू नहीं की जा सकती।

संघ ने आगे बताया की एससी एसटी वर्ग के भीतर वर्गीकरण का यह अधिकार राज्यों को देने से एक वर्ग के भीतर ही नया संघर्ष से शुरू हो जाएगा एवं पुनः NFS (NOT FOUND SUITABLE) का दौर शुरू हो जाएगा। भविष्य में बगैर भरी रिक्त सीट सामान्य कोटे में अघोषित रूप से तब्दील हो जायेगी। एससी एसटी के भीतर ओबीसी की तरह क्रीमी लेयर लागू होने से यह वर्ग दो भागों में बंट जाएगा। मुख्यधारा की ओर थोड़ा आगे बढ़ रहे है, वे क्रिमि लेयर के दायरे में आ जाएंगे। यह वर्ग प्रतियोगिता में शामिल होने के पहले ही अघोषित रूप से बाहर हो जायेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देश के 100 सांसदों ने देश के प्रधानमंत्री से मुलाकात की। अगले दिन अखबार में आया कि पीएम एससी, एसटी के भीतर क्रीमी लेयर लागू नहीं करेंगे, लेकिन उप वर्गीकरण पर चुप्पी साधे है। यह केवल कोरा आश्वाशन है। देशभर के एससी, एसटी वर्ग कोरे आश्वाशन में विश्वास नही रखते। यदि भारत सरकार वास्तव में एससी, एसटी हितैषी है तो तत्काल संसद सत्र बुलाकर पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह मामले दिनांक 1 अगस्त 2024 के आए फैसले को पलटते हुए संविधान संशोधन लाए। एससी, एसटी वर्ग जो मुख्यधारा में अब तक नहीं जुड़ पाए है, उनके लिए राज्य के नीति निदेशक तत्व अनुच्छेद 38(2) में आर्थिक असमानताओं को दूर करने विशेष प्रावधान राज्यो को करने कहा है, इसी के परिपालन में एससी, एसटी के लिए 1980 से पृथक SCP, TSP बजट का प्रावधान किया गया है लेकिन यह बजट केवल कागजों तक सीमित हो रही है, 1980 से 2024 तक लगभग 44 साल में इस बजट प्रावधान से अब तक कितने एससी, एसटी मुख्यधारा में जुड़े, जो नही जुड़ पाए है वो आखिर क्यों नहीं जुड़ पाए। इसका सोशल आडिट सरकारें क्यों नहीं करती। जबकि नीति आयोग के दिशा निर्देश के अनुसार एससी, एसटी वर्ग के जनसंख्या के अनुपात में इन वर्गों के आर्थिक उत्थान के लिए जनसंख्या के अनुपात में बजट प्रावधानित कर लक्षित उद्देश्यों में खर्च किया जाए। लेकिन केंद्र और राज्य की सरकारें इस बजट का महज 1 से 2% राशि ही लक्षित उद्देश्यों में खर्च की जाती है, बाकि राजनीतिक पार्टियों की चुनावी गारंटी पूरा करने में खर्च होती है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को स्वमेव संज्ञान लेनी चाहिए।

इन्होंने कहा की लोकसभा सत्र 2023 में पूछे गए सवाल में डॉक्टर जितेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री ने सदन में जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार के 91 एडिशनल सेक्रेटरी में से एससी, एसटी वर्ग के 10 और ओबीसी वर्ग के 4 हैं, बाकी सब जनरल केटेगरी से है। वही 245 जॉइंट सेक्रेटरी में से एससी एसटी के 26 और ओबीसी के 29 अफसर है। ये स्थिति केंद्रीय सचिवालय की है। छ ग राज्य के अधिकारी कर्मचारी ने इस निर्णय का जमकर विरोध करते हुए राष्ट्रपति महोदया, भारत सरकार नई दिल्ली, प्रधानमंत्री , महामहिम राज्यपाल, छत्तीसगढ़ शासन प्रतिपक्ष नेता लोकसभा नई दिल्ली, कानून मंत्री भारत सरकार नई दिल्ली, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली, अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग नई दिल्ली, राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली को इनके नाम का ज्ञापन राज्य के पूरे जिले के कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपा गया है। एससी एसटी कर्मचारी संगठनो ने 21 अगस्त 2024 के सामूहिक अवकाश के आंदोलन को समर्थन देते हुए अवकाश पर रहने की अपील की है।