Home बड़ी खबर सेवानिवृत प्राचार्य तथा अनादि सर्व सहायता मानव अधिकार फेडरेशन के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ.ए.आर बंजारे ने 38 महानुभावों को पंजीबद्ध डाक से पत्र भेजकर भारतीय संविधान को स्कूली पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से स्थान देने की मांग की।

सेवानिवृत प्राचार्य तथा अनादि सर्व सहायता मानव अधिकार फेडरेशन के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ.ए.आर बंजारे ने 38 महानुभावों को पंजीबद्ध डाक से पत्र भेजकर भारतीय संविधान को स्कूली पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से स्थान देने की मांग की।

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सेवानिवृत प्राचार्य तथा अनादि सर्व सहायता मानव अधिकार फेडरेशन के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ.ए.आर बंजारे ने  38 महानुभावों को पंजीबद्ध डाक से पत्र भेजकर भारतीय संविधान को स्कूली पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से स्थान देने की मांग की।

।। सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

रायपुर / शिवरीनारायण 19 नवंबर 2024 । स्थानीय प्रबुद्ध, सेवानिवृत प्राचार्य तथा “अनादि सर्व सहायता मानव अधिकार फेडरेशन” के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ.ए.आर बंजारे ने छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्रियों तथा अन्य मंत्रियों व विधायकों तथा क्षेत्रीय सांसद सहित कुल 38 महानुभावों को पंजीबद्ध डाक से पत्र भेजकर यह मांग की है कि छात्र, अध्यापकों तथा पालकों को भारतीय संविधान की जानकारी हासिल कराने तथा सबमें जागरूकता लाने के लिए इसे कक्षावार विभिन्न प्रखंडों में बांटकर कक्षा छठवीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में अनिवार्य प्रश्न पत्र/ विषय के रूप में स्थान दिया जावे।

डॉ.ए.आर. बंजारे ने अपने मांग पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि देश में संविधान लागू होने के 75 साल “हीरक जयंती” मनाए जाने के वर्ष तक लोग आज भी संविधान के सम्पूर्ण ज्ञान से अछूते हैं। संविधान जैसे महत्वपूर्ण अध्ययन के विषय से अनभिज्ञ रहना देश के नागरिकों के लिए अत्यंत दुर्भाग्य की बात है। अतः अन्य प्रकार के विषयों के साथ-साथ हम अपने संविधान के बारे में भी सूक्ष्म जानकारी हासिल करें क्योंकि संविधान से ही हमारा देश चल रहा है, संचालित हो रहा है। इसके लिए सभी नागरिकों को इसकी बखूबी जानकारी प्राप्त करने की नितांत आवश्यकता की बात कही। इन्होंने कहा कि हमारे देश का संविधान विश्व का सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़ा संविधान है तथा संविधान शिल्पी बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज्ञान के प्रतीक “सिंबाल ऑफ नॉलेज” की विभूति से नवाजा जा चुका है, बाबासाहेब अंबेडकर और उनकी देन “भारत का संविधान” के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने की अनिवार्य आवश्यकता समस्त नागरिकों के लिए है। यदि पाठ्यक्रम में संविधान को उपरोक्तानुसार स्थान दे दिया जाता है, तो निश्चित रूप से संपूर्ण देशवासियों और समाज को बहुत अधिक फायदा होगा। अतः शासनपक्ष को चाहिए कि ऐसे कार्यों पर गंभीरता से विचार करते हुए जनअपेक्षाओं से संबंधित इस मांग पर आगामी 26 नवंबर “संविधान दिवस” 2024 को या 26 जनवरी 2025 “गणतंत्र दिवस” के अवसर पर पाठ्यक्रम में सम्मिलित किये जाने की घोषणा की जावे।