।। सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।
रायपुर / कोरबा 08 नवंबर 2024 । राज्य के चिटफंड पीड़ितों को छ ग राज्य के पूर्ववर्ती एवं वर्तमान दोनों सरकार से कोई मदद नहीं मिली है। पीड़ितों ने अपने हक अधिकार के लिए लगातार राज्य के विभिन्न जिलों में आंदोलन कर रहे हैं फिर भी सरकार इस मामले पर ध्यान नहीं दे रही है। प्रदेश में 100 से ज्यादा चिटफंड कंपनियों की संपत्ति है पर न्यायालय के जटिल, धीमी प्रक्रिया और मिलीभगत के कारण जिला कलेक्टर न्यायालयों और जिला सत्र न्यायालयों से अंतःकालीन ,अंतरिम आदेश पारित नहीं किए जाने से चिटफंड कंपनियों की संपत्ति की नीलामी नहीं हो पा रही है जिससे पीड़ितों को उनका पैसा वापस नहीं मिल पा रहा है। चिटफंड पीड़ितों ने बताया कि वर्तमान सरकार के चिटफंड सेल और पुलिस अधिकारियों तथा संबंधित कोर्ट के सरकारी वकील की निष्क्रियता और मिलीभगत से न्यायालयों से अंतःकालीन और अंतरिम आदेश पारित नहीं हो पा रहे हैं। यदि सरकार द्वारा नियुक्त चिटफंड सेल के पुलिस विभाग के अधिकारी ,जिला कलेक्टर कार्यालय के अधिकारी एवं सरकारी वकील इस मामले को गंभीरता से लेंगे तो 6 माह में ही दोनों न्यायालयों से अंतरिम आदेश पारित कराया जा सकता है लेकिन जानबूझकर चिटफंड कंपनियों के संचालकों को फायदा पहुंचाने पेशी पर पेशी समय को बढ़ाया जा रहा है। चिटफंड पीड़ितों ने विभिन्न चिटफंड कंपनियों में फंसे पैसे को वापस कराने के लिए बीते दिनों छ ग शासन के वाणिज्य,उद्योग एवं श्रम विभाग के मंत्री लखन लाल देवांगन से भेंट मुलाकात कर पूरी समस्या से अवगत कराते हुए ज्ञापन सौंपा।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कई जिलों के कलेक्टर के खाते में पेमेंट जमा होने के बाद भी पीड़ितों को पूरी राशि नहीं दिए जाने से इनमें आक्रोश व्याप्त है।ज्ञात हो की राज्य चिटफंड कंपनी अधिनियम के तहत जिस कंपनी का पैसा कलेक्टर के खाते में जमा होता है उस राशि को उसी कंपनी के सभी निवेशकों, पीड़ितों को अनुपातिक रूप से सभी पैसे उनके खाते में जमा किया जाना है लेकिन अधिकारी पीड़ितों को उनके मूलधन देकर सारे पैसे को कलेक्टर अपने खाते में रखे हुए हैं जिससे चिटफंड पीड़ितों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है।एक ऐसा ही मामला कोरबा में आया है सर्व मंगला प्रॉपर्टीज कंपनी की संपत्ति नीलामी हो गई है और पूरी राशि कलेक्टर के खाते में जमा हो गई। पीड़ितों को उनके मूलधन देकर शेष राशि को दबाया जा रहा है। इसी कंपनी के पीड़ितों ने बताया कि कंपनी का नाम पहले अलग था मालिक और संचालक वहीं था सिर्फ कंपनी का नाम सर्वमंगला प्रॉपर्टीज के नाम बदला गया है इस कारण कई दर्जन लोग आज भी रकम पाने भटक रहें हैं। जिला कलेक्टर कार्यालय के अधिकारियों से कई बार राशि देने की मांग कर रहे हैं लेकिन आज पर्यंत कोरबा प्रशासन इनको राशि देने में आनाकानी कर रहा है।
मिली जानकारी अनुसार संसद की अवमानना और अनियमित जमा योजनाएं पाबंदी अधिनियम 2019 का उल्लंघन कर अधिकारियों द्वारा ठगी पीड़ितों का भुगतान न करने के विरोध में ज्ञापन में आवेदक मदन लाल आजाद, राष्ट्रीय संयोजक एवं संस्थापक, ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार तपजप, जिला कोरबा द्वारा मंत्री श्री लखन लाल देवांगन को आवेदन पत्र सौंपा गया है। मंत्री महोदय ने आवेदकगणों के ज्ञापन को समस्या के निराकरण करने मूलतः संलग्न कर देश के प्रधान मंत्री माननीय नरेंद्र मोदी को प्रेषित किया है। ज्ञापन में आवेदकगण द्वारा लेख किया गया है कि 01 सितम्बर 2024 से सम्पूर्ण देश के जिला कलेक्ट्रेट पर ठगी पीड़ित, जमाकर्ता परिवार, तपजप द्वारा बड्स एक्ट 2019 के तहत् ठगी पीडितों का भुगतान कराये जाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन असहयोग आंदोलन चल रहा है जिसके माध्यम से लाखों आवेदन / ज्ञापन केन्द्र एवं राज्य सरकार को भेजे गए है किन्तु आज तक उक्त संबंध में कोई कार्यवाही नहीं हुई। संसद की अवमानना करते हुए सरकार ने अनियमित जमा योजनाएं पाबंदी कानून 2019 बन जाने के पश्चात गैरकानूनी रूप से करोडो निवेशकों को भ्रमित करने और ठगों को बचाने के लिए कई अवैध रिफंड पोर्टल और परिसमापक बनाये है जो निवेशकों का भुगतान करने में असमर्थ रहे हैं।
सरकार ने बड्स एक्ट 2019 के तहत् नियुक्त सक्षम और सहायक सक्षम अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र बताते हुए ईडी, सीबीआई, सेबी, परिसमापक एनसीएलटी जैसी एजेंसी का दुरूपयोग करते हुए ठग कम्पनियों, सोसाइटीज द्वारा निवेशकों से ठगी गई रकम को अपने कब्जे में तो कर लिया लेकिन उसका भुगतान निवेशकों को नहीं किया जो कानून, जनता, संसद और लोकतंत्र का सीधे-सीधे अपमान है और विवेकाधिकारों का दुरूपयोग भी है। इसलिए संसद की अवमानना और अनियमित जमा योजनाएं पाबंदी अधिनियम 2019 का उल्लंघन कर अधिकारियों द्वारा ठगी पीड़ितों का भुगतान करने तथा केन्द्र सरकार द्वारा पारित कानून बड्स एक्ट 2019 को लागू करने की मांग की गई है। ज्ञापन में पीड़ितों ने मंत्री महोदय से छ०ग० के समस्त ठगी पीड़ित व्यक्तियों/ निवेशकों के डूबी हुई रकम को बड्स एक्ट 2019 के नियमानुसार 180 दिन में दो से तीन गुना भुगतान करने की मांग की गई है।