।। सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।
रायपुर 30 अक्टूबर 2024 । ऐसे तो कांग्रेस की पूर्व सरकार और भाजपा की वर्तमान सरकार ने राज्य के चिटफंड कंपनियों के पीडितों को उनके फंसे पैसे वापस करने का दावा और वादा किया है। इन पार्टियों की सरकार ने अपनी अपनी घोषणा पत्र में पीड़ितों को राहत देने की बातें कहीं लेकिन अब तक इन्हें कोई विशेष राहत नहीं मिली जिससे दोनों सरकार की कथनी और करनी में अंतर नजर आ रही है। हमने इसकी पूरी पड़ताल की तो सूत्रों और चिटफंड पीड़ितों से चौंकाने वाली जानकारी मिली है। सूत्रों के मुताबिक चिटफंड कंपनियों के आरोपी जरूर फरार है लेकिन भगोड़े आरोपियों ने सब जगह अपने अपने रिश्तेदारों को बिठा रखा है और ये रिश्तेदार आरोपियों की मदद कर रहे हैं। जिससे न्यायालयीन प्रक्रिया तो प्रभावित हो ही रही है वहीं पीड़ितों को समय पर न्याय नहीं मिल रहा है ।
सूत्रों और पीड़ितों के मुताबिक चिटफंड के आरोपी पुलिस की मदद से ही पकड़े नहीं जा रहे हैं, न्यायालय से अंतः कालीन और अंतरिम आदेश तक पारित नहीं कर पा रहे हैं जिससे राज्य की पुलिस ,लोक अभियोजक और बाबुओं के कार्य प्रणाली पर सवाल उठ रहा है इससे राज्य सरकार की भी बदनामी हो रही है।इन सब की मिलीभगत से न्यायालयीन प्रक्रिया का कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है। ये नौकरशाहों ने माननीय न्यायालय को गुमराह कर रहे हैं। ये सब लोग न्यायालय का ध्यान भटका कर चिटफंड कंपनियों के आरोपियों से मोटी रकम लेकर इनकी बेशकीमती संपत्ति को बचाने का काम कर रहे हैं इन पर मोटी रकम लेने का भी आरोप लग रहा है। ये सब जानबूझकर,आरोपियों को अवसर देने पेशी पर पेशी की तिथि बढ़ाई जा रही है और ये नुमाइंदे मामलों को खारिज कराने में लगे हुए हैं। बताया जा रहा है चिटफंड के आरोपियों और आरोपियों के रिश्तेदार पुलिस , लोक अभियोजक और कोर्ट के बाबुओं से लगातार संपर्क में हैं तभी पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
इन नुमाइंदों की पहली मिलीभगत मदुरई की एक चिटफंड कंपनी रॉयल विजन केयर जिसने राज्य के भोलेभाले गरीबों से ऊंची ब्याज का झांसा देकर करीब 2007 से 2008 तक करोड़ों रुपए बटोरकर भाग गई।इसका मामला बलौदाबाजार न्यायालय में चला लेकिन सबकी मिलीभगत सरकारी वकील की निष्क्रियता से माननीय न्यायालय को अंधेरे में रखकर मामले को जानबूझकर खारिज करा दिया गया ताकि राजधानी रायपुर में आरोपी की बेशकीमती जमीन की नीलामी न हो सके और यह मामला हाई कोर्ट बिलासपुर चला गया यहां भी सरकार के वकील अपना पक्ष रख पाने में सफल नहीं हो रहें हैं जिससे पीड़ितों को 16 साल से न्याय नहीं मिल पा रहा है। इनकी दूसरी मिलीभगत सामने आई है साईं प्रसाद कंपनी जो पूरे राज्य में शाखा खोलकर खूब पैसा बटोरा 3 साल तक अरबों रु बटोरकर भाग गई इनकी एक बेशकीमती संपत्ति कोरबा में नीलामी तो हुई लेकिन यहां जिला प्रशासन की मिलीभगत से ज्यादा कीमत की संपत्ति को कम आकलन कर संपत्ति बिक्री की जिस पर निवेशकों ने आपत्ति लगाते हुए सही कीमत पर नीलामी का आवेदन लगाया लेकिन अब तक मामला लंबित है।
इनकी तीसरी बड़ी लापरवाही,निष्क्रियता और मिलीभगत से पीड़ित पिछले 15 सालों से अपना पैसा वापस के लिए दर दर भटक रहें हैं इस कंपनी का नाम रुचि रियल स्टेट एंड वेल्थ क्रियेटर्स चिटफंड कंपनी है जिसका मुख्य शाखा लाल गंगा कॉम्प्लेक्स रायपुर उप शाखा बिलासपुर, कोरबा,रायगढ़ और दुर्ग था। इस कंपनी की करोड़ों की सम्पत्ति बिरगांव रायपुर में स्थित है। इस मामले में कंपनी की संपत्ति की नीलामी हेतु रायपुर कलेक्टर न्यायालय ने अंतःकालीन आदेश पारित कर अंतरिम आदेश जारी के लिए जिला सत्र न्यायालय रायपुर में फाइल भेजी यहां पिछले डेढ़ साल से पीड़ितों को भटकाया जा रहा है और माननीय न्यायालय को अंधेरे में रखकर कई बहाना बनाया जा रहा है जबकि कोतवाली पुलिस कोरबा ने अंतरिम रिपोर्ट जिला सत्र न्यायालय को भेज दी है कि आरोपियों की सालों से खोजबीन की गई आरोपी वीरम मौलीधर उर्फ रवि और इसके अन्य 3 साथी आरोपी फरार हैं। न्यायालय के जानकार सूत्र बताते हैं कि यदि आरोपी नहीं मिल रहे हैं तो इश्तहार जारी कर अंतरिम आदेश पारित कराया जा सकता है लेकिन उक्त कंपनी के आरोपी के रिश्तेदार रायपुर में रहते हैं जो इस मामले को प्रभावित कर रहा है।राज्य के चिटफंड कंपनियों के पीड़ितों ने राज्य के शासन प्रशासन से अनुरोध किया है कि इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए नियम को शिथिल करते हुए केवल जिला कलेक्टर के अंतःकालीन आदेश के आधार पर कंपनियों की संपत्ति की नीलामी कर पीड़ितों को उनका पैसा वापस किया जाएं।