Home बड़ी खबर गिरौदपुरी समीप महकोनी बलौदाबाजार कांड की, न्यायिक जांच आयोग में राज्य सरकार के विरुद्ध GSSS प्रमुख लखन सुबोध बने पक्षकार । GSS द्वारा आयोग को विस्तृत जानकारी की प्रस्तुत किया शपथ पत्र।

गिरौदपुरी समीप महकोनी बलौदाबाजार कांड की, न्यायिक जांच आयोग में राज्य सरकार के विरुद्ध GSSS प्रमुख लखन सुबोध बने पक्षकार । GSS द्वारा आयोग को विस्तृत जानकारी की प्रस्तुत किया शपथ पत्र।

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गिरौदपुरी समीप महकोनी  बलौदाबाजार कांड की, न्यायिक जांच आयोग में राज्य सरकार के विरुद्ध GSSS प्रमुख लखन सुबोध बने पक्षकार । GSS द्वारा आयोग को विस्तृत जानकारी की प्रस्तुत किया शपथ पत्र।

।। सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

रायपुर/ बलौदाबाजार 29 अक्टूबर 2024 । बलौदाबाजार कांड में जेल में बंद सतनामी समाज के निर्दोष लोगों की रिहाई के लिए गुरु घासी दास सेवादार संघ ने अपना काम शुरू कर दिया है। संघ को भरोसा है कि उन्हें एक दिन न्याय जरूर मिलेगा और समाज के निर्दोष लोगों की रिहाई होकर रहेगी। इसके लिए संघ ने जांच आयोग के जस्टिस वाजपेयी से निम्न 6 बिंदुओ को लेकर निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा –

1. दिनांक 15-05-2024 व 16-05-2024 के मध्यरात्रि को जिला बलौदाबाजार-भाटापारा अंतर्गत ग्राम महकोनी, अमरगुफा में स्थित जैतखाम को क्षतिग्रस्त किए जाने संबंधी घटना कैसे घटित हुई ।

2. वह कौन सी परिस्थितियों थी अथवा कौन से कारण थे, जिनके फलस्वरूप घटना घटित हुई।

3. उक्त घटना हेतु कौन-कौन व्यक्ति जिम्मेदार हैं।

4. घटना के पूर्व, घटना के दौरान एवं घटना के उपरांत ऐसे अन्य मुद्दे, जो घटना से संबंधित हो।

5. भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो. इस हेतु सुरक्षा एवं प्रशासकीय कदम उठाये जाने के संबंध में सुझाव एवं उपाय ।

6.अन्य ऐसे महत्वपूर्ण बिन्दु जो जांच आयोग शासन के संज्ञान में लाना चाहे। पर जांच करने आम जनता व जन संगठनों से शपथ पत्र पर जो जानकारी मांगी गई थी उस पर एकमात्र गुरुघासीदास सेवादार संघ (GSS) प्रमुख लखन सुबोध ने विस्तार से इन बिंदुओं पर शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।

आयोग द्वारा 2–2 बार शपथ पत्र प्रस्तुत करने की तारीख बढ़ाने के बाद भी GSS को छोड़कर कोई भी अन्य संगठन सामने नहीं आया। पिछली पेशियों में जो सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि जब GSS ने माननीय आयोग से यह लिखित आवेदन दिया जिसमें प्रस्तुत शपथ पत्र में वर्णित तथ्यों की पुष्टि के लिए विभिन्न सामाजिक–राजनैतिक 23 व्यक्तियों को आयोग के समक्ष बुलाने समंस जारी किया जाय। तब आयोग ने लखन सुबोध को कहा कि यदि आप आयोग के समक्ष पक्षकार बनेंगे तभी हम इस पर विचार करेंगे। इस पर लखन सुबोध ने तुरंत पक्षकार बनने का आवेदन आयोग के समक्ष लगाया। जिसे आयोग ने स्वीकार कर लिया और आदेश दिया कि लखन सुबोध इन 23 लोगों में से जिन–जिन लोगों को अपने पक्षकारी के बतौर गवाह प्रस्तुत करना चाहता है वह प्रस्तुत करें। इनसे शेष लोगों को आयोग द्वारा समंस देने पर विचार किया जाएगा।

 

GSS द्वारा 23 लोगों में से कुल 4 लोगों का शपथ पत्र बनवा लिया है। जिसे अगली पेशी 06.11.2024 को आयोग में प्रस्तुत करेगा। GSS ने आयोग को यह भी आवेदन किया है कि राज्य सरकार द्वारा इस मामले में उनके द्वारा किए गए आज तक के कार्य संबंधी कागजात हमें दी जाय। जिसे स्वीकारते हुए माननीय आयोग ने राज्य सरकार को तत संबंधी कागजात पेश करने का आदेश शासकीय अधिवक्ता को दिया। GSS की ओर से अधिवक्ता दिवेश कुमार हैं जो पूर्व में नागपुर एवम् मुंबई हाईकोर्ट में प्रेक्टिस कर चूके एवम् वर्तमान में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर में प्रेक्टिस कर रहे है।आगे की कार्यवाहियों पर सभी आम व खास लोगों की नजरें लगी हुई है। GSS चाहता है कि पूरे मामले पर दूध का दूध और पानी का पानी हो।

GSS की इस पहल को कुछ लोगों ने अप्रत्यक्ष रूप से आलोचना भी किया की यह सब आयोग–अदालतें बेकार है।इससे कुछ नहीं होगा लेकिन लखन सुबोध का कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में अदालतें /आयोग न्याय पाने का मंच है। इनके प्रक्रिया निर्णय से हम संतुष्ट–असंतुष्ट हो सकते हैं लेकिन पहले उस प्रक्रिया में जायेंगे तभी सफल होंगे। इन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में जो लोग अदालत जाते हैं और वे वकालत करते हैं क्या वे परिणाम के पहले वकालत करना छोड़ देंगे। आंबेडकर का नाम लेकर नेतागिरी करने वाले लोग यह बताएं कि डा. आंबेडकर ने साइमन आयोग–गोलमेज कांफ्रेंस आदि में क्यों गए और वे स्वयं अदालतों में वकालत क्यों करते थे। दरअसल ऐसे ज्ञानी लोग लोकतांत्रिक न्यायिक प्रक्रिया से डरते हैं, क्योंकि यहां तर्क–वितर्क, बहस –निर्णय होता है और ये लोग यह सब नहीं करना चाहते सिर्फ लोगों को अपने स्वार्थ के लिए भड़काकर–उपद्रव करके राजनीतिक रोटी सेकते हैं इसलिए GSS के इन प्रयासों का ये दोगले लोग विरोध करते हैं। GSS इन मुद्दों पर आवश्यतानुसार अपील कर सुप्रीम कोर्ट तक जानें का निर्णय ले चुका है। अभी तक माननीय वाजपेयी आयोग द्वारा कानून प्रावधानित रीति से बहुत अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन जो पूर्वाग्रह से प्रेरित कुंठित लोग हैं वे चिढ़े हुए हैं। उक्त आशय की जानकारी GSS के ऑफिस सचिव अजय अनंत ने दी।