गुमशुदा बच्चे…… राष्ट्रीय -अंतराष्ट्रीय समस्या…..तरुण खटकर।भारत में हर साल 96‌ हजार बच्चे लापता। प्रति घंटे 6.3 और प्रतिदिन 151.2 बच्चे लापता हुए ।

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।। संपादकीय लेख सामाजिक कार्यकर्ता तरुण खटकर की कलम से।।

।। सिध्दार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

रायपुर छत्तीसगढ़ 08 सितंबर 2024 । सोशल एक्टिविस्ट तरुण खटकर ने अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय गुमशुदा बच्चों के आंकड़े पर ध्यान आकृष्ट करते हुए बताया कि यह एक राष्ट्रीय -अंतरराष्ट्रीय समस्या है उन्होंने कहा कि चौक चौराहे मे भीख मांगते बच्चे, ढाबों में काम करते बाल श्रमिक बच्चों के अपहरण, तस्करी और गुमशुदा होने की खबरें अक्सर सामने आती हैं यह घटनाएं न केवल पीड़ित बच्चों और उनके परिवार के लिए दर्दनाक होती है बल्कि पूरे समाज में भय और अविश्वास का माहौल पैदा कर देती है।बच्चे देश की अनमोल धरोहर है उनकी अच्छी परवरिश और सुरक्षा न केवल उनके परिवार बल्कि देश की उन्नति के लिए आवश्यक है बच्चों का गुम हो जाना एक गंभीर समस्या है। इसी भयानक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय समस्या के प्रति समाज में लापता बच्चों के सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाज को बच्चों के सुरक्षा के तरीकों के बारे में शिक्षित करने के लिए पूरे विश्व में हर साल 25 मई को अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।ताकि इस समस्या पर लोगों का ध्यान आकृष्ट हो और जागरूकता और सरकार के प्रयास से इस समस्या को समाप्त किया जा सके ।

 

“गुमशुदा बच्चे” दुनिया भर में इस समस्या के दायरे पर विश्वशनीय आंकड़े उपलब्ध नही है । इस चुनौती के बावजूद जो आंकड़े उपलब्ध हैं उसके अनुसार

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में अनुमानित 460000 (संघीय जांच ब्यूरो,एन सी आई सी के अनुसार)

युनाइटेड किंगडम में अनुमानित 112853 ( राष्ट्रीय अपराध एजेंसी,युके गुमशुदा ब्यूरो अनुसार),

जर्मनी में अनुमानित 100000 (पहल वर्मिंस्टे किंडर के अनुसार),कनाडा में अनुमानित 45,288

(कनाडा सरकार ,फास्ट फैक्ट शीट के अनुसार),

आस्ट्रेलिया में अनुमानित 20000(आस्ट्रेलियाई संघीय पुलिस, राष्ट्रीय समन्वय केन्द्र अनुसार),रुष में अनुमानित 45000(रुस टुडे, अनुसार),स्पेन में अनुमानित 20000

(स्पेन लापता बच्चों के यूरोपीय संघ की हाटलाइन के अनुसार ),भारत में अनुमानित 96000

(बचपन बचाओ आंदोलन के अनुसार)2022 NCRB की वार्षिक रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 83 हजार 350 बच्चे जिसमें 62946 बेटियां 20380 बेटे लापता हुए ।

 

केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पूर्व मंत्री ने लोकसभा में जो आंकड़े पेश किए हैं उसके अनुसार वर्ष 2018 से 2023 तक कुल दो लाख पचहत्तर हजार 2,75125 बच्चे लापता हुए हैं इनमें से दो लाख 12 हजार 212825 लड़कियां है । इन जारी आंकड़ों के अनुसार प्रति घंटे में 6.3 बच्चा लापता हुए यानी प्रति दिन के हिसाब से 151.2 से बच्चे लापता हुए ।एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के सात राज्यों में गुमशुदा बच्चों के मामले सबसे अधिक जिसमें मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली और छत्तीसगढ़ जहां सबसे ज्यादा बच्चे गायब होते हैं इन राज्यों में लापता हुए कुल बच्चों की संख्या 2 लाख 14 हजार 664 है यानी कुल लापता बच्चों में से 78 फिसदी इन्हीं सात राज्यों के है। छत्तीसगढ़ राज्य से भी चौंकाने वाले आंकड़े है प्रदेश में 33 महीनों में 48 हजार 675 लोग लापता हुए यानी प्रति घंटे 2 लोग और प्रति दिन लगभग 49 लोग ये आंकड़े बहुत डरावने है। गुमशुदा बच्चों को लेकर 2016 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी उस समय राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस प्रीतिकर दिवाकर ने गुमशुदा बच्चों की तलाश के लिए विशेष अभियान चलाने के लिए कहा था।

 

तरुण खटकर ने गुमशुदा बच्चों को ढुडने के लिए चलाएं अभियान आपरेशन मुस्कान को एक कारगर अभियान बताया उन्होंने बताया कि 1 जून 2023 से 30 जून 2023 तक छत्तीसगढ़ पुलिस ने आपरेशन मुस्कान अभियान चलाकर 559 लापता बच्चों को जिसमें 487 बेटियां 72 बेटों को बचाया गया। 1 जनवरी 2024 से 31जनवरी 2024 तक छत्तीसगढ़ पुलिस के आपरेशन मुस्कान अभियान के तहत प्रदेश के कई जिलों के साथ साथ छत्तीसगढ़ पुलिस ने दुसरे राज्यों में तेलंगाना, महाराष्ट्र ,ओडिशा, मध्यप्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में अभियान चलाकर 504 बच्चों को बरामद किया जिसमें 454 बेटियां एवं 50 बेटे शामिल हैं बरामद बच्चे प्रमुख रुप से दुर्ग जिले से 93 बलौदा बाजार भाटापारा जिले से 58 बच्चे बिलासपुर जिले से 41 एवं प्रदेश के अन्य जिलों के गुम बच्चों को भी दस्तयाब किया।

हालांकि यह समस्या एवं समस्या के हल का केवल एक छोटा सा हिस्सा है कई देशों में गुमशुदा बच्चों के बारे में आंकड़े उपलब्ध ही नहीं है और दुर्भाग्य से उपलब्ध आंकड़े भी गलत हो सकते हैं क्योंकि कम रिपोर्टिंग, कम पहचान, केस की गलत डेटाबेस और केस बंद होने के बाद रिकार्ड को हटा दिया जाना आदि कारणों से हो सकता है। सोशल एक्टिविस्ट तरुण खटकर ने जनता, जनप्रतिनिधियों, समाजिक कार्यकर्ता संगठन युवा समुह महिला समुहो छात्र छात्राओं राजनीतिक संगठनों से अपील करते हुए कहा कि हो सकता है आपके आस पास वर्षों से ऐसी घटनाएं घटित न हुई हो इसलिए आपको लगता है ये कोई समस्या नही है फिर भी ये आंकड़े बताते हैं कि ये एक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय समस्या है इस पर हम सब का ध्यान आकृष्ट होना चाहिए है ताकि हम सब‌ मिलकर शासन एवं सोशल एक्टिविस्ट द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न अभियान जैसे चाइल्ड हेल्पलाइन, आपरेशन मुस्कान,बचपन बचाओ आंदोलन, से जुड़कर एवं अभियानों के प्रति जागरूकता अभियान चलाकर कर इस समस्या का अंत करने में भागीदार बनें।

तरुण खटकर

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