Home बड़ी खबर सीपीआई ने केरल भूस्खलन में लोगों की दुखद मृत्यु पर शोक व्यक्त किया !

सीपीआई ने केरल भूस्खलन में लोगों की दुखद मृत्यु पर शोक व्यक्त किया !

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सीपीआई ने केरल भूस्खलन में लोगों की दुखद मृत्यु पर शोक व्यक्त किया !

।। सिध्दार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

नई दिल्ली 02 अगस्त 2024 । सीपीआई (एमएल) महासचिव पी जे जेम्स ने केरल के वायनाड में भूस्खलन में बड़ी संख्या में लोगों की मौत पर हार्दिक संवेदना व्यक्त की है। इन्होंने कहा की मरने वालों में अधिकांश पीड़ित गरीब मेहनतकश हैं, इस घटना में 300 से अधिक की मौतें हो चुकी है। बेशक, जैसा कि विशेषज्ञों का कहना है, पूरे पारिस्थितिक रूप से नाजुक पश्चिमी घाट में बार-बार होने वाले भूस्खलन का मूल्यांकन वैश्विक जलवायु तबाही के खतरे और “क्यूम्यलोनिम्बस क्लाउड”, वैश्विक उष्णता(ग्लोबल वार्मिंग ) आदि घटनाओं के व्यापक/स्थूल संदर्भ में किया जाना चाहिए। ऐसे कई ठोस/सूक्ष्म कारक हैं जो केरल में जलवायु आपदाओं को बढ़ाते हैं। इसरो द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय स्तर के डेटा बेस के अनुसार, केरल का पश्चिमी घाट क्षेत्र भूस्खलन एटलस में बहुत ऊपर है।

माकपा नेता पी जे जेम्स ने कहा की राज्य और केंद्र में सत्तारूढ़ शासन, लालची कॉरपोरेट्स और रियल एस्टेट माफिया के साथ मिलकर, प्रकृति और जंगलों की लूट और तबाही के सूत्रधार बन गए हैं, जो आदिवासी जनता और इन क्षेत्रों में रहने वाले मेहनतकश उत्पीड़ित लोगों को विनाश की ओर ले जा रहे हैं। लगभग 13 साल पहले, गाडगिल रिपोर्ट ने, राज्य से संबंधित सामाजिक-आर्थिक कारकों की उपेक्षा जैसी अपनी सीमाओं के बावजूद, आसन्न तबाही की ओर इशारा किया था। सीपीआई (एम), कांग्रेस और भाजपा के नेतृत्व वाले सभी शासक वर्ग पार्टी के गठबंधनों सहित केरल में कैथोलिक चर्च का नेतृत्व ने भी जो पश्चिमी घाट अतिक्रमण में सबसे आगे है, रिपोर्ट पर बढ़ चढ़ कर हमला किया था और यहां तक कि इसके खिलाफ एकजुट होकर बंद भी आयोजित किया था। प्रकृति की फलती-फूलती लूट को लेकर कॉरपोरेट माफिया और सत्ताधारी शासन अभी भी साथ-साथ चल रहे हैं। परिणामस्वरूप, 1956 में केरल राज्य के गठन के बाद से, वायनाड जिले में वनभूमि आधे से अधिक कम हो गई है। इस भयावह स्थिति में, और गहराते वैश्विक जलवायु संकट के संदर्भ में, एकमात्र विकल्प मौजूदा नवउदारवादी-निगमीकरण को उलटना है जिसका मुख्य सार आज प्रकृति की खुली लूट है। यह आम जनता और सभी लोकतांत्रिक ताकतों पर निर्भर है कि वे उठ खड़े हो और जन-समर्थक, प्रकृति-समर्थक और महिला-समर्थक विकास प्रतिमान के साथ इस कॉर्पोरेट-समर्थक विकास के रुझान को उलटें।यही तबाही को रोकने का आज एकमात्र विकल्प है।