Home बड़ी खबर एसडीएम ने लटुआ सरपंच को किया बर्खास्त, 6वर्ष के लिए निर्वाचन हेतु अयोग्य घोषित

एसडीएम ने लटुआ सरपंच को किया बर्खास्त, 6वर्ष के लिए निर्वाचन हेतु अयोग्य घोषित

एसडीएम ने लटुआ सरपंच को किया बर्खास्त, 6वर्ष के लिए निर्वाचन हेतु अयोग्य घोषित

जिला ब्यूरो चीफ /तोषन प्रसाद चौबे/सिद्धार्थ न्यूज़

विकासखंड बलौदाबाजार के ग्राम पंचायत लटुआ की सरपंच श्रीमती महेश्वरी साहु को एसडीएम बलौदाबाजार श्री अमित कुमार गुप्ता ने छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम की धारा 40 (1) के प्रावधानो के तहत तत्काल प्रभाव से पृथक कर दिया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ पंचयती राज अधिनियम 1993 की धारा 40(2) के प्रावधानो के तहत 6 वर्ष की कलावधि के लिए पंचायत अधिनियम के अधीन निर्वाचन, सहयोजन के लिए निरर्हित घोषित किया है।
जारी आदेशानुसार ग्राम पंचायत लटुआ के ग्रामीणों द्वारा सरपंच श्रीमती महेश्वरी साहु के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायत की गई थी। जनपद सीईओ बलौदाबाजार के द्वारा जाँच दल गठित कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया जिसमें ग्राम पंचायत एवं ग्रामसभा द्वारा प्रस्ताव के आधार पर सभी कार्य कराये गए किंतु पंजी में 16 देयको का भुगतान किया जाना पाया गया जिसका व्यय प्रमाणक अप्राप्त हैं। बिना व्यय प्रमाणक के भुगतान किये जाने के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 92 के तहत 401430 रूपये (चार लाख एक हजार चार सौ तीस रूपये) वसूली एवं धारा 40 के तहत कार्यवाही किये जाने हेतु प्रतिवेदित किये जाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर कार्यवाही किया गया। अनावेदिका सरपंच ग्राम पंचायत लटुआ द्वारा मौखिक तर्क पेश किया गया कि उसके द्वारा सभी कार्य कराया गया है लेकिन देयक कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। द्वितीय प्रति मांगी गई है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बलौदाबाजार के जाँच प्रतिवेदन व अनावेदक के तर्क से स्पष्ट है कि ग्राम पंचायत लटुआ के सरपंच व सचिव द्वारा विभिन्न फर्माे को कुल 4 लाख एक हजार 430 रुपये का भुगतान किया गया है किन्तु देयक प्रमाणक दस्तावेज उपलब्ध नहीं है जो कि छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 के अधीन छत्तीसगढ़ पंचायत लेखा नियम 1999 लेखा प्रक्रिया तथा अभिलेख नियम 37 के विपरीत है। सरपंच श्रीमती महेश्वरी साहु द्वारा पद पर रहते हुए अपने कर्तव्यों के निर्वहन में घोर लापरवाही बरती गई है जिसके कारण वह अपने कर्तव्य के निर्वहन में अवचार के दोषी है तथा उनका पद पर बना रहना लोकहित में अवांछनीय है।