पुलिस प्रशासन द्वारा नए कानून संहिता की जानकारी देने पत्रकारों के लिए किया गया विशेष कार्यशाला का आयोजन* *पत्रकारों को नए कानून के संबंध में जानकारी देकर,समाज के सभी वर्गों तक नए कानून की जानकारी पहुंचाने में सहयोग करने की गई अपील*

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रिपोर्टर/तोषन प्रसाद चौबे/सिध्दार्ध न्यूज़
तीन नए अपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के विषय पर आज पुलिस कार्यालय सभाकक्ष में पत्रकारों को जानकारी देने हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री हेमसागर सिदार द्वारा नवीन भारतीय न्याय संहिता,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम के विषय को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए, नये कानून के तहत किए जाने वाले कार्य एवं प्रक्रिया के संबंध में विस्तार पूर्वक उपस्थित पत्रकारों को बताया गया। नए कानून में भारतीय दंड संहिता को अब भारतीय न्याय संहिता किया गया है, जिसमे विशेषता दंड से ज्यादा न्याय पर आ गया है। उन्होंने आगे कहा कि नए कानून में बहुत सारी और चीजे आ रही है। नए कानून के संबंध में पत्रकारों को नए आपराधिक कानूनों, धाराओं और सजा से अवगत कराया गया। उन्होंने कहा कि दिनांक 1 जुलाई 2024 से नवीन तीनों कानून के तहत कार्य किए जा रहे है, पुराने कानून की जगह अब नए कानून लागू हो चुका है उसकी जानकारी समस्त लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हम सभी की है, इसमें प्रमुख रूप से मीडिया की भूमिका अहम है। उन्होंने सभी पत्रकारों को इस दिशा में सहयोग करने की अपील की। उप पुलिस अधीक्षक किशोर वासनिक ने नए कानून के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि नए कानूनों में ऐसे बहुत से प्रावधान हैं, जो पुलिस को पहले से ज्यादा ताकतवर बनाते हैं। पुलिस का प्रमुख काम अपराध होने से पहले ही रोकना और कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखना है। नवीन कानून बी.एन.एस में प्रावधान है कि पुलिस अधिकारी को किसी संगीन मामले की शिकायत मिलने पर प्रथम सूचना पत्र लिखने से पहले अपने उच्च अधिकारी से अनुमति लेकर प्राथमिक जांच करे।’ मतलब पुलिस अधिकारी को पर्याप्त समय मिलेगा, जिसमें वो तय करेगा कि मामले में प्रथम दृष्टया प्रकरण बनता है या नहीं। कार्यशाला में उप पुलिस अधीक्षक
राजेश श्रीवास्तव ने नवीन तीनों कानून के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराते हुए कहा कि समाज के सभी वर्गो तक नए कानून की जानकारी पहुंचाने में सहयोग करें। उन्होंने बताया कि नए कानूनों में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल डिवाइस यानी मोबाइल, स्मार्टफोन, लैपटॉप आदि को सबूत के तौर पर परिभाषित किया गया है। किसी मामले की जांच, पूछताछ के दौरान माननीय न्यायालय या पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति से डॉक्यूमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या डिजिटल डिवाइस पेश करने के लिए समन या आदेश जारी कर सकता है। नए कानून के तहत जांच करने की शक्ति के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस को किसी मामले की जांच करने का अधिकार प्राप्त है। पुलिस मामले से जुड़े सबूतों, बयानों और वस्तुओं को भी इकट्ठा कर सकती है। इस दौरान उपस्थित पत्रकारों द्वारा नए कानून के संबंध में कई प्रश्न पूछे गए,जिसमें उपस्थित पुलिस अधिकारियों द्वारा उनके प्रश्नों का उत्तर देते हुए उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया गया।

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