अभनपुर में गुरुघासीदास सेवादार संघ ( जीएसएस) और जाति उन्मूलन आंदोलन ( CAM) ने मनाई बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती।

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।। सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

रायपुर 16 अप्रैल 2024 । विगत दिवस रायपुर जिले के अभनपुर गातापार सतनाम भवन में 14 अप्रैल को गुरुघासीदास सेवादार संघ ( जीएसएस) और जाति उन्मूलन आंदोलन ( CAM) द्वारा बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जयंती मनाई गई।विचार गोष्ठी ” आंबेडकरी संविधान को खत्म करने के संघी मनुवादी फासिस्ट षड्यंत्र का पर्दाफाश करना वक्त की पुकार ” विषय पर केंद्रित थी।संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन जीएसएस के और जाति उन्मूलन आंदोलन छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष लखन सुबोध,जाति उन्मूलन आंदोलन और क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच ( कसम) के अखिल भारतीय संयोजक तुहिनने किया। विशिष्ट वक्ताओं में प्रगतिशील आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ एवम अखिल भारतीय क्रांतिकारी महिला संगठन ( AIRWO) की राज्य अध्यक्ष हेमा भारती,जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ के संयोजक प्रसाद राव,भाकपा (माले)रेड स्टार के राज्य सचिव कॉमरेड सौरा,छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से जुड़े कवि भागीरथी वर्मा,हम्माल मजदूर आंदोलन के नेता वेदराम आदि साथी शामिल थे ।कार्यक्रम में अंतरजातीय विवाह करने वाले और सामाजिक बहिष्कार/ भेदभाव का सामना कर रहे दस विवाहित जोड़ों को सम्मानित किया गया।कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय किसान सभा और जाति उन्मूलन आंदोलन के संयोजक हेमंत टंडन और आभार प्रदर्शन जीएसएस के नेतृत्वकारी साथी दिनेश सतनाम ने किया।कार्यक्रम में केशव सतनाम,दुर्गा,उषा और थान सिंह मंडे ने क्रांतिकारी जन गीत प्रस्तुत किया।कार्यक्रम में अभनपुर विकास खंड के विभिन्न ग्रामों के संघर्षशील साथी उपस्थित थे।

कार्यक्रम में वक्तव्य रखते हुए कॉमरेड लखन सुबोध ने कहा कि 1936 में जब लाहौर के जात पात तोड़क मंडल ने बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर को पहले अपने सम्मेलन में सभापति के रूप में आमंत्रित किया और फिर भारत की निर्मम जाति व्यवस्था और हिंदुत्व के बारे में उनके क्रांतिकारी विचारों को जानकर उन्हें लाहौर के सम्मेलन में आमंत्रित नहीं करने का निर्णय लिया।तब डॉक्टर अंबेडकर ने उक्त सम्मेलन में दिए जाने वाले अपने भाषण को ” जाति उन्मूलन”( Caste Annihilation) के नाम से छपवाया और वितरित किया। उस समय उन्होंने एक युगांतरकारी बात कही थी कि भारत में हजारों सालों से पैठ जमाए अमानवीय जाति व्यवस्था को उखाड़ फेंके बिना कोई सच्चा लोकतांत्रिक समाज नहीं बन सकता।इसके लिए उन्होंने भारत की जनता के दो दुश्मनों से लड़ने को कहा था- एक ब्राम्हणवाद तो दूसरा पूंजीवाद। इसी के साथ उन्होंने भूमि और उद्योगों के राष्ट्रीयकरण पर भी जोर दिया था।शहीद भगत सिंह ने भी ब्रिटिश साम्राज्यवाद( गोरी बुराई) को उखाड़ फेंकने के साथ साथ उसकी दलाल भारतीय पूंजीवाद( काली बुराई) से भी हमें लड़ने को कहा था।उन्होंने उपस्थित जन समुदाय से पूछा कि आरएसएस मनुवादी फासिस्ट ताकतों से आंबेडकरी संविधान की रक्षा कौन करेगा,तो सब साथियों ने जवाब दिया कि हम करेंगे।

कॉमरेड तुहिन ने कहा कि आज की तारीख में हम देखते हैं कि मनुवाद,जनता के प्रमुख शत्रु फासिस्ट आरएसएस के वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व का रूप धारण कर अपने आका आज के पूंजीवाद , महाभ्रष्ट अडानी अंबानी जैसे कॉरपोरेट घरानों के याराना पूंजीवाद ( Crony Capitalism) का लठैत बनकर देश की आम मेहनतकश जनता को रौंद रहा है।आज पूरे देश में डॉक्टर अंबेडकर,ज्योतिबा फूले,सावित्री बाई फुले,पेरियार ,गुरुघासीदासऔर शहीद भगत सिंह की समतावादी जातिविहीन धर्मनिरपेक्ष शोषणहीन समाज की सोच पर सीधे सीधे चोट करने वाला लोकतंत्र विरोधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) , दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना धुर दक्षिणपंथी फासीवादी संगठन है। जो कॉर्पोरेट-क्रोनी( याराना) पूंजीपतियों के समर्थन के साथ, अब अपने राजनीतिक उपकरण भाजपा के माध्यम से भारतीय राज्यसत्ता की बागडोर संभाल रहा है। नतीजतन, नागरिक और सैन्य प्रशासन और यहां तक कि न्यायपालिका सहित राज्यसत्ता के सभी संस्थान और साथ ही देश के संपूर्ण राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक क्षेत्र अब फासीवादी ताकतों की मजबूत पकड़ में हैं।

कॉमरेड प्रसाद राव ने फासिस्ट आरएसएस भाजपा शासन में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के संगठित विरोध पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि सीएए, धारा 370 को निरस्त करना, ध्वस्त बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर का निर्माण, समान नागरिक संहिता जैसे फासीवादी कदमों के साथ , जो विशेष रूप से मुसलमानों को निशाने पर रखकर उठाए गए हैं, पहले ही अपने अंतिम लक्ष्य बहुसंख्यकवादी धार्मिक हिंदूराष्ट्र की स्थापना के लिए बुनियाद मजबूत कर चुके हैं । पहले से ही बनाए गए मुस्लिम विरोधी और इस्लाम का डर दिखाकर (इस्लामोफोबिक) बहुसंख्यकवादी ध्रुवीकरण का प्रभावी ढंग से उपयोग करते हुए और विशेष रूप से प्रधान मंत्री द्वारा स्वयं राम मंदिर का अभिषेक करके, भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को कलंकित व कमजोर कर दिया गया है। आरएसएस-बीजेपी अब अपने ‘मिशन 400’ के साथ यानी , आसन्न लोकसभा चुनाव में 400 सीटें जीतने के लिए एक पागल गति से दौड़ रहे हैं।

कॉमरेड हेमा भारती ने शिद्दत से याद दिलाया कि आरएसएस के पिछले प्रयास, जो कि बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान को मनुस्मृति से बदलने के लिए किए गए थे,असफल साबित हुए थे। सबको मालूम है कि मनुस्मृति दलितों और महिलाओं समेत तमाम उत्पीड़ित जातियों को मानव का दर्जा नहीं देती। आज, भारत की संपत्ति के बड़े हिस्से पर , नागरिक और सैन्य प्रशासन और न्यायपालिका में वरिष्ठ पदों पर ब्राह्मणवादी उच्च जातियों के एक छोटे मुट्ठीभर तबके का कब्जा है। इसके अलावा, आर्थिक आरक्षण (ईडब्ल्यूएस) के माध्यम से, 103वें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से कुलीन उच्च जातियों को 10 प्रतिशत अधिक आरक्षण दिया गया है, जिसने संविधान के मूल चरित्र को भी कमजोर कर दिया है। इस बीच, आरएसएस/भाजपा, उत्पीड़ित जाति के लोगों और लोकतांत्रिक ताकतों द्वारा की जा रही अखिल भारतीय जाति जनगणना की मांग में बाधा डाल रही है, क्योंकि इससे देश की राजनीतिक और आर्थिक शक्ति पर ऊंची कुलीन जाति की पकड़ उजागर हो जाएगी। तमाम प्रगतिशील और लोकतांत्रिक ताकतों के बीच गहरी चिंता है कि 2024 के चुनाव में आरएसएस-बीजेपी की हैट्रिक जीत से भारतीय संविधान को निर्मम मनुस्मृति के जरिए बदल दिया जाएगा।

कॉमरेड सौरा ने जोर देकर कहा कि इस भगवा एजेंडे का अभिन्न अंग, मोदी सरकार के धुर-दक्षिणपंथी, कॉर्पोरेट-समर्थक रुझान के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों सहित देश की संपत्ति और संसाधनों को क्रोनी( याराना) पूंजीपतियों/ कॉरपोरेट अडानी-अंबानी द्वारा हड़प लिया जा रहा है। संसद महज एक मूक दर्शक बनकर रह गई है और लोगों को धोखा देने का एक भवन बन कर रह गई है, जबकि उसकी जगह नीतिगत फैसले कॉर्पोरेट बोर्ड-रूम में लिए जाते हैं। कुख्यात ‘चुनावी बांड’ के माध्यम से, अधिकांश महाभ्रष्ट कॉर्पोरेट पूंजीपतियों और सत्तारूढ़ भाजपा शासन के बीच अपवित्र सांठगांठ अधिक स्पष्ट है। परिणामस्वरूप, बढ़ती असमानता, अभूतपूर्व बेरोजगारी, आजीविका के साधनों में भारी कमी, निवास स्थान से विस्थापन और व्यापक भूखमरी प्रकट होने के कारण, मेहनतकश वर्ग का विशाल बहुमत, किसान, आदिवासी, महिलाएं और धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित सभी उत्पीड़ित लोग अधिक से अधिक भीषण गरीबी की ओर धकेले जा रहे हैं। जिस हकीकत को आधिकारिक एजेंसियों और कॉरपोरेट-भगवा गोदी-मीडिया द्वारा चालाकी से छुपाया जा रहा है। जो चुनाव नजदीक आते ही मोदी सरकार की रियायतों और मुफ्त सुविधाओं के एवज में फासिस्ट मोदी सरकार के अनुचित कवरेज के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।

कॉमरेड भागीरथी वर्मा ने बताया कि लेखकों और बुद्धिजीवियों और यहां तक कि विपक्षी नेताओं सहित वे सभी नेक इरादे वाले लोग, जो मोदी शासन की फासीवादी नीतियों की आलोचना करते हैं या उनके खिलाफ अपनी असहमति और मतभेद व्यक्त करते हैं, उनके साथ राष्ट्र-विरोधी और देशद्रोही जैसा बर्ताव किया जाता है और उन पर यूएपीए जैसे सबसे कठोर निरंकुश कानून लागू किए जाते हैं। डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर,गोविंद पंसारे,प्रोफेसर कलबुर्गी ,गौरी लंकेश सहित जिन लोगों ने भी संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतों के खिलाफ आवाज बुलंद की , संघी फासीवादी गुंडों ने उन्हें शारीरिक रूप से मिटा दिया।राज्य की सत्ता पर आरएसएस के कब्जे के साथ-साथ भगवा गुंडों ने सड़क की सत्ता पर भी कब्जा कर लिया है।

  1. कॉमरेड वेदराम ने कहा कि इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, जब लोगों को स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लोकतांत्रिक अधिकार से भी वंचित कर दिया गया है और असहमति के सभी बुनियादी अधिकारों पर अंकुश लगा दिया गया है। तो इस फासीवादी निरंकुश तानाशाही शासन को उखाड़ फेंकना भारतीय जनता का तात्कालिक कार्य बन गया है।

    कार्यक्रम के अंत में, जाति उन्मूलन आंदोलन और जीएसएस , ने उन सभी लोगों से अपील किया जो जीने के अधिकार के लिए खड़े हैं और जो भारतीय संविधान में निहित लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और जाति-आधारित आरक्षण को कायम रखना चाहते हैं। हमारी तमाम फासीवाद/ तानाशाही विरोधी लोकतांत्रिक ताकतो से पुरजोर अपील है कि वे एकजुट होकर फासीवाद-विरोधी वोटों को विभाजित न करने के लिए हर संभव प्रयास करें और आम चुनाव में आरएसएस-भाजपा को हराने के लिए दृढ़ता से प्रयास करें।

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