Home बड़ी खबर चिटफंड मामला: छ ग राज्य की जनता पूछ रही है सवाल कब मिलेगा उनका पैसा। चिटफंड सेल के सुस्त रवैए और निष्क्रियता से नहीं मिल पा रहा है लोगों को उनका पैसा। अधिकारियों द्वारा नियमित मॉनिटरिंग नहीं करने से पीड़ितों को नहीं मिल रही राहत। राज्य में भाजपा की सरकार बनीं चिटफंड के निवेशकों में जगी उम्मीद, विभिन्न कंपनियों में फंसी रकम जल्द राज्य कोष से राशि प्रदान करने की रखी मांग।

चिटफंड मामला: छ ग राज्य की जनता पूछ रही है सवाल कब मिलेगा उनका पैसा। चिटफंड सेल के सुस्त रवैए और निष्क्रियता से नहीं मिल पा रहा है लोगों को उनका पैसा। अधिकारियों द्वारा नियमित मॉनिटरिंग नहीं करने से पीड़ितों को नहीं मिल रही राहत। राज्य में भाजपा की सरकार बनीं चिटफंड के निवेशकों में जगी उम्मीद, विभिन्न कंपनियों में फंसी रकम जल्द राज्य कोष से राशि प्रदान करने की रखी मांग।

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चिटफंड मामला: छ ग राज्य  की जनता  पूछ रही है सवाल कब मिलेगा उनका पैसा। चिटफंड सेल के सुस्त रवैए और निष्क्रियता से नहीं मिल पा रहा है लोगों को उनका पैसा। अधिकारियों द्वारा  नियमित मॉनिटरिंग नहीं करने से पीड़ितों को नहीं मिल रही राहत। राज्य में भाजपा की सरकार बनीं चिटफंड के निवेशकों में जगी उम्मीद, विभिन्न कंपनियों में फंसी रकम जल्द राज्य कोष से राशि प्रदान करने की रखी मांग।

।।खबर सिद्धार्थ न्यूज़ से नीलकांत खटकर।।

 

रायपुर/कोरबा 14 जनवरी 2924 । छत्तीसगढ़ राज्य में भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बन गई है।भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में चिटफण्ड के पीड़ितों को राशि देने का वादा किया था जिसके मुताबिक चिटफंड के निवेशकों ने भाजपा को वोट देकर विजयी बनाई।अब जनता भाजपा की सरकार से सवाल कर रही है की चिटफंड में फंसी रकम कब मिलेगी। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार आपको बतला दें की पिछली कांग्रेस की सरकार ने करीब 30 से ज्यादा चिटफंड कंपनियों की संपत्ति की नीलामी कर पीड़ितों को पैसा वापस किया हाला की उन्हें पूरी राशि नहीं मिली अब वे भी पूरी राशि प्रदान करने की मांग कर रहें हैं।चूंकि केंद्र में भाजपा की सरकार है आम चुनाव करीब है वोटो को साधने राज्य की बीजेपी सरकार राज कोष से भी चिटफंड के पीड़ितों को राशि दे सकती है।अधिकांश निवेशकों ने ऐसी चिटफंड कंपनियों में राशि जमा किए हुए हैं जिनकी तो राज्य में न कोई सम्पत्ति है न बाहर राज्य में संपत्ति है , किसी कंपनी की है भी तो राज्य के बाहर है, कईयों मामलों में सिविल कोर्ट से नीलामी के आदेश पारित किए गए लेकिन कंपनी के संचालक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से स्टे लगवा दिए हैं जिसके कारण पीड़ितों को उनका पैसा वापस नहीं मिल पा रहा है ऐसे में अब पीड़ित वर्ग को कम से कम उनका मूलधन राशि वापसी की मांग कर रहे हैं। ऐसे मामलों में भाजपा सरकार को कुछ विशेष ध्यान देना होगा,कोई स्पेशल कानूनी सलाहकार के मार्फत संबंधित कोर्ट में चुनौती देकर स्टे ऑर्डर को हटाना होगा ताकि संपत्तियों की बिक्री हो सके और पीड़ितों को उनका पैसा वापस मिल सकें अन्यथा राज्य के भाजपा सरकार को राज्य कोष से पीड़ितो को राशि देनी पड़ सकती है।

मामला सुलझाने में अलग अलग नियम से हो रहा विलंब :राज्य के कई जिलों में चिटफंड प्रकरण देख रहे अधिकारियों से हमारे एडिटर इन चीफ ने इसकी पूरी पड़ताल की तो जानकारी मिली की चिटफंड को लेकर पूरे राज्य के अलग अलग कलेक्टर कोर्ट,सिविल कोर्ट में मामले सुलझाने में अलग अलग नियम से संपति की नीलामी की कार्यवाही की जा रही है इस वजह से चिटफंड कंपनियों की संपति नीलामी के आदेश पारित कराने में देरी हो रही है जिसका फायदा चिटफंड के आरोपी संचालक उठा रहें हैं और उन्हें स्टे ऑर्डर के लिए पर्याप्त समय मिल जा रहा और वे उच्च न्यायालयों से स्टे ऑर्डर ले आ रहें हैं।ऐसे स्टे के लिए छ ग राज्य के संबंधित जिम्मेदार राज्य सरकार के नियुक्त चिटफंड सेल के अधिकारी हैं जो इस मामले को लेकर सजग नहीं है और न ही नियमित रूप से मॉनिटरिंग कर रहे हैं इन अधिकारियों की निष्क्रियता से चिटफंड कंपनियों के पीड़ित निवेशकों को राहत मिलने में जबरन देरी हो रही है।आपको बतला दें की रुचि रियल स्टेट एंड वेल्थ नाम की चिटफंड कंपनी जो रायपुर में संचालित थी इस कंपनी के संचालकों के विरुद्ध में प्रार्थियों ने थाना कोतवाली कोरबा में मामला पंजीबद्ध कराया है। इस कंपनी की संपत्ति रायपुर में स्थित है।पहले कलेक्टर कोर्ट रायपुर से अंतःकालीन आदेश पारित किए गए फिर इस मामले को सिविल कोर्ट रायपुर में अंतरिम आदेश के लिए भेजा गया। जैसे पहले कलेक्टर कोर्ट में मामले सुलझाने पर कार्यवाही में वक्त लगा अब उतने ही समय अंतरिम आदेश की प्रक्रिया में वक्त लग रहा है। जिससे कम्पनी की संपत्ति नीलामी करने में देरी हो रही लोग परेशान हैं क्यों की समय पर कोर्ट से नीलामी के लिए अंतरिम आदेश नहीं मिल पा रहा है,पुलिस को तामिली कराने में भी दिक्कत हो रही ,इस प्रकरण में 3 आरोपी छ ग के हैं और 3 आरोपी विशाखापटनम के हैं जो फरार हैं। समय पर आरोपियों से तामिली नहीं होने से मामले सुलझाने में देरी हो रही है कारण मामला अलग जिले का, सुनवाई अलग जिले की कोर्ट में हो रही है।इस कारण से पीड़ितों को समय पर उनका पैसा नहीं मिल पा रहा है। पीडितों ने हो रही देरी पर नाराजगी जताते हुए तत्काल कार्यवाही की मांग की है। पीड़ितों का कहना है की बाहर राज्य के आरोपी फरार हैं जिनको हम नहीं जानते न पहचानते हैं तो इसके लिए कितने दिनों तक तामिली के लिए इंतजार करें। जहां कोरबा जिला में कंपनी की शाखा के मुख्य आरोपी हैं जिनको हमने उनको पैसे दिए वे अभी कोरबा में रहते हैं  केवल इन्हीं 2 आरोपी की तामिली से ही मामले की सुनवाई करते हुए कंपनी की संपत्ति नीलामी के लिए अंतरिम आदेश पारित किए जाएं। आपको बता दें की इस कंपनी में किसी ने 1 लाख रु तो किसी ने 10 लाख रु जमा किए हैं गनीमत है की इस कंपनी की जमीन की कीमत करीब 10 करोड़ है। निवेशकों को अपना जमा फंड से ज्यादा रकम मिलने के संकेत मिल रहे हैं ।अब देखना यह है की शासन प्रशासन इन मामलों पर कितनी तत्परता दिखाता है या ऐसे ही जानबूझकर मामले को पेंडिंग रखना चाहते हैं।