क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले की जयंती को शिक्षक/ शिक्षिका दिवस के रूप में मनाया गया ।एक जाति विहीन, वर्ग विहीन,धर्मनिरपेक्ष,लैंगिक समानता और वैज्ञानिक तर्कशील चिंतन पर आधारित समतावादी समाज बनाने का आह्वान

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।।खबर सिद्धार्थ न्यूज़ से नीलकांत खटकर।।

 

अभनपुर 05 जनवरी 2024 । क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर जाति उन्मूलन आंदोलन और अखिल भारतीय क्रांतिकारी महिला संगठन रायपुर छत्तीसगढ़ की ओर से शिक्षक /शिक्षिका दिवस विगत 03 जनवरी की” अभनपुर राजिम मैन रोड पर अंबेडकर भवन कठिया मोड में मनाया गया ।कॉमरेड सौरा ( अखिल भारतीय आदिवासी भारत महासभा, संयोजक) ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।जाति उन्मूलन आंदोलन के उत्तर भारत के संयोजक साथी तुहिन ने आधार वक्तव्य दिया।अखिल भारतीय क्रांतिकारी महिला संगठन ( AIRWO) तथा प्रगतिशील आंगनवाड़ी कार्यकर्ता संघ की संयोजक साथी दुर्गा यादव,समाजसेवी साथी ताहेरा बेगम,जाति उन्मूलन आंदोलन के जिला संयोजक साथी पुनुराम ,समाजसेवी साथी थान सिंह मंडे, आंबेडकरी मिशन के साथी लखबीर सिंह ने वक्तव्य दिया।संचालन जाति उन्मूलन आंदोलन के राज्य कमिटी सदस्य साथी हेमंत ने किया।साथियों ने क्रांतिकारी जन गीत प्रस्तुत किया। शोषित समाज में शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय महिलाओं को कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।

 

वक्ताओं ने कहा कि आज की तारीख में जहां संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतों के राज में पूरा देश बाबासाहेब के द्वारा निर्मित संविधान को खत्म कर घोर मानवता विरोधी मनुस्मृति पर आधारित महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घराने अडानी अंबानी के मालिकाना वाले हिंदुराष्ट्र की ओर बढ़ रहा है।ऐसे अंधकारपूर्ण माहौल में सनातनी कर्मकांड विरोधी, मनुवाद विरोधी जाति उन्मूलन के रास्ते पर, उत्पीड़ित महिलाओं के लिए शिक्षा क्रांति और महिला मुक्ति के लिए अपने जीवन का बलिदान करने वाली सावित्रीबाई फुले को याद करना और उनके बताए रास्ते पर चल कर ही” एक जाति विहीन,वर्ग विहीन,धर्मनिरपेक्ष,तर्कशील सोच,महिला पुरुष समानता पर आधारित एक सच्चे समतावादी समाज की स्थापना की जा सकती है।

भारत मे नारी शिक्षा के लिए सर्वप्रथम पहल करने वाली सावित्री बाई फुले और उनके पति व शिक्षक महात्मा ज्योतिबा फुले के प्रयासों से 1जनवरी1848 को पूना में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला गया।इस प्रयास में सावित्री बाई को फातिमा शेख ने मदद की।सावित्रीबाई फुले ने ब्राम्हणवादी मनुवादी समाज की प्रताड़ना और प्रबल विरोध झेलकर भी स्त्री शिक्षा, ब्राम्हणी पुरुषप्रधान समाज के अत्याचार की शिकार महिलाओ के लिए आश्रयगृह की व्यवस्था तथा हिंसक जातिव्यवस्था के विरोध में अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया।हम जातिउन्मूलन आंदोलन से जुड़े साथी,सनातन पंथी सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में न मनाकर, नवजागरण की पुरोधा ,नारीमुक्ति और नारी शिक्षा की अग्रदूत सावित्रीबाई फुले के जन्मदिन 3 जनवरी को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का जनता से आह्वान करते हैं।आज की तारीख में पूरे देश में संघी कॉरपोरेट फॉसिस्टों के मनुवादी आक्रमण का मुकाबला करने के लिए भी यह जरूरी है। उक्त आशय की जानकारी जाति उन्मूलन आंदोलन( CAM ) और अखिल भारतीय क्रांतिकारी महिला संगठन ( AIRWO) रायपुर (छत्तीसगढ़) के हेमंत टंडन, लक्ष्मी साहू,पुनुराम धृतलहरे ने दी।

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