Home बड़ी खबर मोदी सरकार को राज्य-प्रायोजित मंदिर प्रतिष्ठापन से बचना चाहिए!जनता को बहुसंख्यक फासीवादी ध्रुवीकरण के खिलाफ एक हथियार के रूप में जाति जनगणना की मांग करनी चाहिए !!

मोदी सरकार को राज्य-प्रायोजित मंदिर प्रतिष्ठापन से बचना चाहिए!जनता को बहुसंख्यक फासीवादी ध्रुवीकरण के खिलाफ एक हथियार के रूप में जाति जनगणना की मांग करनी चाहिए !!

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मोदी सरकार को राज्य-प्रायोजित मंदिर प्रतिष्ठापन से बचना चाहिए!जनता को बहुसंख्यक फासीवादी ध्रुवीकरण के खिलाफ एक हथियार के रूप में जाति जनगणना की मांग करनी चाहिए !!

– महासचिव पी जे जेम्स सीपीआई (एमएल) रेड स्टार की कलम से।

भाजपा सरकार द्वारा राम मंदिर का प्रायोजन, जिसका उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री मोदी 22 जनवरी, 2024 को करने वाले हैं,जो की असंवैधानिक है क्योंकि राज्य को धर्म से अलग करना ही धर्मनिरपेक्षता है और भारतीय संविधान की बुनियादी विशेषताओं में से एक है। हालाँकि, 2014 के बाद से भारतीय राज्य सत्ता आरएसएस के राजनीतिक उपकरण बीजेपी के पास है, जिसका अंतिम उद्देश्य बहुसंख्यकवादी धार्मिक हिंदूराष्ट्र की स्थापना करना है। नतीजा यह है कि आज भारतीय राज्यसत्ता का आरएसएस के एजेंडे में विलय हो रहा है, प्रधानमंत्री एक साल पहले राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद से ही इसके निर्माण में लगे हुए हैं और अब इसके उद्घाटन का भी नेतृत्व करने जा रहे हैं।

इसके हिस्से के रूप में, आरएसएस-बीजेपी सभी प्रकार के बहुसंख्यक हिंदुत्व ध्रुवीकरण में लगी हुई है, जो एक तरफ मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिक भावनाओं को भड़का रही है, और दूसरी तरफ उन उत्पीड़ित जातियों, जिन्हें मनुस्मृति मानव का दर्जा नहीं देती, को जबरन हिंदुत्व में शामिल करने में लगी हुई है। इस दृष्टिकोण के साथ, आरएसएस और उसके सहयोगियों ने जाति जनगणना का पुरजोर विरोध किया है, क्योंकि यदि इसे लागू किया जाता है, तो यह जाति-ग्रस्त भारतीय समाज के सभी अंतर्निहित अंतर्विरोधों को सामने लाएगा, विशेष रूप से धन, राजनीतिक और प्रशासनिक शक्ति आदि की , उच्च, ब्राह्मणवादी कुलीन जातियों , जो भारत में सबसे भ्रष्ट कॉर्पोरेट वर्ग के साथ भी मजबूती से जुड़े हैं,के हाथों अत्यधिक केंद्रीकरण का पर्दाफाश कर देगा।इसलिए, आगामी आम चुनाव पर ध्यान केंद्रित करते हुए राम मंदिर के इर्दगिर्द दुर्भावनापूर्ण मुस्लिम विरोधी, हिंदुत्व बहुसंख्यक ध्रुवीकरण में संलग्न होने के साथ-साथ, संघ परिवार अखिल भारतीय जाति जनगणना का भी जोरदार विरोध कर रहा है और तर्क दे रहा है कि यह सामाजिक सद्भाव को नष्ट कर देगा। वास्तव में, आरएसएस-बीजेपी का मंदिर अभियान एक योजनाबद्ध और सुविचारित कदम है जिसका उद्देश्य ओबीसी और दलित जातियों के विशाल बहुमत मेहनतकश और उत्पीड़ित लोगों का ध्यान बेहद जरूरी जाति जनगणना से भटकाना है।

इस महत्वपूर्ण मोड़ पर जब आरएसएस का नवफासीवाद एक तरफ मुस्लिम विरोधी बहुसंख्यकवादी ध्रुवीकरण में लगा हुआ है, और दूसरी तरफ जाति जनगणना का जोरदार विरोध करते हुए उत्पीड़ित निचली जातियों को हिंदुत्व की खचड़ा गाड़ी में लादने की कोशिश कर रहा है,कांग्रेस जैसी इंडिया गठबंधन की पार्टियां अपने नरम-हिंदुत्व दृष्टिकोण के कारण उभरती राजनीतिक स्थिति की जटिलता को समझने में बुरी तरह विफल हो रही है। इस संदर्भ में, फासीवादी ताकतों द्वारा बिछाए गए मंदिर-जाल में फंसे बिना, भारत के मेहनतकश और उत्पीड़ित जनता, जो मुख्य रूप से तथाकथित निचली और अछूत जातियों से हैं, को खड़े होना चाहिए और एक राजनीतिक जवाबी हमले के साथ आगे आना चाहिए और अखिल भारतीय जाति जनगणना, जो ब्राह्मणवादी मनुवादी हिंदुत्व के हितों के खिलाफ है के तत्काल क्रियान्वयन की मांग करनी चाहिए ।

आज, जब आरएसएस का नवफासीवाद भारत के संपूर्ण राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों के स्थूल और सूक्ष्म स्थानों में फैला हुआ है, तो वह हिंदूराष्ट्र के अपने अंतिम उद्देश्य के साथ महत्वपूर्ण आम चुनाव की ओर बढ़ रहा है, और राम मंदिर को मुख्य अभियान सामग्री के रूप में पेश कर रहा है। यह फासीवाद-विरोधी जनवादी ताकतों के लिए बहुत आवश्यक है कि वे ,अखिल भारतीय जाति जनगणना की मांग को लेकर दृढ़ता से आगे आएं।जाति जनगणना, हिंदुत्व फासीवाद की कमजोर नस( ‘अकिलीज़ हील’) है। ऐसी मांग देश की सभी जाति-विरोधी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील ताकतों वाले फासीवाद-विरोधी आंदोलन को मजबूत करने के लिए एक प्रभावी प्रस्थान बिंदु हो सकती है। भारत के असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले बहुसंख्यक मेहनतकश जनता और महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों सहित सभी उत्पीड़ित जनता अब एक साथ एकजुट होकर देशव्यापी जाति जनगणना की मांग उठा सकते हैं।

यदि इस मांग पर केंद्रित लोगों की देशव्यापी व्यापकतम एकता सामने आती है, तो यह सीधे तौर पर मनुवादी जाति व्यवस्था की जड़ पर प्रहार करेगी जो भारतीय फासीवाद को भौतिक और वैचारिक आधार प्रदान करती है। आज भारत की ठोस स्थिति में, यह पहल बड़े पैमाने पर बहुसंख्यकवादी ध्रुवीकरण के खिलाफ सबसे बड़ा झटका होगा, जिसकी आरएसएस-भाजपा आने वाले दिनों में मंदिर-परियोजना के माध्यम से परिकल्पना करती है। इसके अलावा, अखिल भारतीय जाति जनगणना का उपयोग जाति-ग्रस्त भारतीय समाज के बुनियादी लोकतंत्रीकरण के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में भी किया जा सकता है।

इसलिए सीपीआई (एमएल) रेड स्टार सभी फासीवाद-विरोधी, जाति-विरोधी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और वामपंथी ताकतों से अपील करता है कि वे इस मंदिर प्रोजेक्ट के केंद्रीय मुद्दे के पीछे के शातिर, फासीवादी एजेंडे के खिलाफ राजनीतिक जवाबी कार्रवाई के रूप में तत्काल अखिल भारतीय जाति जनगणना की मांग करें। चूंकि आरएसएस-बीजेपी ने पहले ही राम मंदिर को मुख्य एजेंडे के रूप में केंद्रित करते हुए बिना किसी रोक-टोक के आम चुनाव अभियान का फैसला कर लिया है, आइए हम, भारत के लोग, एकजुट होकर मोदी सरकार से मंदिर के इस असंवैधानिक राज्य-प्रायोजन से दूर रहने के लिए कहें, और इसके बजाय अखिल भारतीय जाति जनगणना कराने पर जोर दें जो समय की मांग है। सभी पार्टी समितियों को सभी समान विचारधारा वाली ताकतों के साथ मिलकर उचित परिप्रेक्ष्य में जाति जनगणना की मांग को आगे बढ़ाते हुए सभी स्तरों पर पहल करनी चाहिए।

पी जे जेम्स महासचिवसी पीआई (एमएल) रेड स्टारन ई दिल्ली