।।खबर सिद्धार्थ न्यूज़ से नीलकांत खटकर।।
बिलाईगढ़/ भटगांव 26 दिसंबर 2023 । विगत 25 दिसंबर 2023 को भटगांव नगर में विजय सोनवानी की अगुवाई में मनुस्मृति दहन का कार्यक्रम किया गया।जहां दर्जनों लोगों की उपस्थिति में मनु द्वारा संचालित पुस्तक का दहन किया गया। श्री सोनवानी ने बताया की मनुस्मृति में किस प्रकार से नियम कानून विधान बनाए गए थे जिसमें हमारे समाज के लोगों को शूद्र वर्ण में रखकर अत्यंत शोषण किया गया था जो जानवर , पशुओं से भी बदत्तर जीवन जीने मजबूर किया गया जिसकी हम ऐसी किताब का विरोध करते हुए निंदा करते हैं।
इन्होंने कहा की ऐसी क्या वजहें रही होंगी जो आज से लगभग 92 साल पहले आज ही के दिन 25 दिसम्बर 1927 को बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर को पहली बार मनुस्मृति का प्रतीकात्मक रूप से दहन करना पड़ा? उस दौर में भारतीय समाज में जो कानून चल रहा था वह मनुस्मृति के विचारों पर आधारित था। यह एक मनुवादी, पुरुष सत्तात्मक, भेदभाव वाला कानून था, जिसमें इंसान को जाति और वर्ग के आधार पर बांटा गया था. आइए जानते हैं जिन व्यवस्थाओं के प्रति बाबासाहेब आंबेडकर को विरोध दर्ज करना पड़ा, उसके पीछे क्या कारण रहे होंगे? हजारों वर्षों से देश जातिवाद का दंश झेल रहा है जो आज के इस आधुनिक दौर में और भी विकराल रूप लेता दिखाई पड़ रहा है. महिलाओं के अधिकारों की बात हो या वर्ण व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर माने जाने वाले शूद्र की, ऊंची जातियों को इसमें अपना स्वामित्व ही क्यूं नजर आता रहा? क्यूं आज के इस वैश्विक दौर मे हमारा देश और पिछड़ता चला जा रहा है? जहां मॉब लिंचिंग के बहाने जाति विशेष को निशाना बनाया जा रहा है. क्या यह सब अचानक ही हो रहा है या इसके पीछे कुछ मंशाएं काम कर रही हैं? या हम इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि मनुष्य-मनुष्य न होकर सिर्फ जाति रूपी कार्ड दिखाई देने लगा है जो सिर्फ वोट के समय खेला जाता है जो हमसे अब बर्दाश्त नहीं होगी हम इस दिवस को काला दिवस मानते हुए इस किताब को हम सब हर साल 25 दिसंबर को दहन करेंगे।