
नई दिल्ली ,12दिसंबर। जाति उन्मूलन आंदोलन का पांचवां अखिल भारतीय सम्मेलन आगामी 16-17 दिसंबर को कोयंबटूर तमिलनाडु में कॉमरेड दोरायस्वामी नगर( अन्नामलाई हॉल) में आयोजित है।अखिल भारतीय सम्मेलन में छत्तीसगढ़ समेत पंद्रह राज्यों के प्रतिनिधि शिरकत करेंगे।सम्मेलन में जाति उन्मूलन आंदोलन के कार्यक्रम,सांगठनिक उसूलों,सांगठनिक रिपोर्ट और तात्कालिक कर्तव्य पर प्रस्ताव पर गंभीरता से चर्चा होगी ।महान क्रांतिकारी समाज सुधारक रामास्वामी पेरियार के मशहूर जाति विरोधी,धार्मिक कर्मकांड विरोधी आंदोलन की सर जमीन तमिलनाडु के कोयंबटूर सम्मेलन में भारत के अस्सी प्रतिशत दलित उत्पीड़ित, आदिवासी, महिला, शोषित, मेहनतकश समाज को एकजुट कर संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतों द्वारा मनुस्मृति के आधार पर अडानी अंबानी जैसे महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घरानों के हिंदुराष्ट्र और उसके अभिन्न अंग निर्मम जातिव्यवस्था को उखाड़ फेंकने के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी और एक ताकतवर अखिल भारतीय कमिटी का निर्माण भी किया जाएगा।
समिति ने अपनी विज्ञप्ति में कहा की सम्मेलन के आयोजकों ने इस आशय की विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि,1936 में जब लाहौर के जात पात तोडक मंडल ने बाबा साहेब डॉ आंबेडकर को पहले, सभापति के रूप में आमंत्रित किया और फिर भारत की क्रूर जाति व्यवस्था और अमानवीय हिंदुत्व के बारे में उनके क्रांतिकारी विचारों को जानकर उन्हें लाहौर के सम्मेलन में आमंत्रित नहीं करने का निर्णय लिया तब बाबासाहेब ने “जाति उन्मूलन”(Caste Annihilation) के नाम से अपनी पुस्तिका को छपवाया और वितरित किया। उस समय उन्होंने एक युगांतरकारी बात कही थी कि भारत में अमानवीय जाति व्यवस्था को उखाड़ फेंके बिना कोई लोकतांत्रिक समाज नहीं बन सकता। इसके लिए उन्होंने भारतीय जनता को दो दुश्मनों से लड़ने को कहा था-एक ब्राम्हणवाद तो दूसरा पूंजीवाद।शहीद भगत सिंह ने भी ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के साथ-साथ उसकी दलाल भारतीय पूंजीवाद से भी हमें लड़ने को कहा था।आज की तारीख में हम देखते हैं कि ब्राम्हणवाद, फासिस्ट आरएसएस के वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व का रूप धारण कर आज के पूंजीवाद ,जिसे अडानी अंबानी का कॉरपोरेट राज कह सकते हैं का लठैत बना हुआ है। बाबा साहेब आंबेडकर की एक बात और हमें नहीं भूलना चाहिए कि हिंदुराष्ट्र की स्थापना भारत के अंधकारमय युग की शुरुआत है।
समिति ने अपनी विज्ञप्ति में आगे कहा की 2014 के मध्य में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से,दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा फासीवादी संगठन आरएसएस, भारत को एक हिंदूराष्ट्र के रूप में बदलने की दिशा में सुनियोजित ताबड़तोड़ आक्रमण में लगा हुआ है। आरएसएस का वैचारिक आधार मनुस्मृति है, जिसके अनुसार दलितों/उत्पीड़ितों, महिलाओं और गरीब मेहनतकशों को इंसान का दर्जा नहीं दिया जाता। इसके अलावा इनके तथाकथित हिंदुराष्ट्र (जो कि आम हिंदुओं के लिए नहीं है बल्कि अडानी,अंबानी जैसे धन कुबेरों के लिए है) में आरएसएस, मुसलमानों को नागरिकता और मानवाधिकारों से वंचित करती है। विशेष रूप से, मोदी के दूसरे कार्यकाल के तहत 2019 के बाद से, भारत “मोदीनॉमिक्स” का एक क्रूर स्वरूप भी देख रहा है, जो आज क्रोनी कैपिटलिज्म (जुआड़ी/ दरबारी पूंजीवाद) का भारतीय संस्करण है और अखिल भारतीय स्तर पर पूर्ण रूप से कॉर्पोरेट-भगवा फासीवाद का बहु-आयामी संस्करण है। आज भगवा नव-फासीवाद के तहत देश का समूचा सामाजिक ताना-बाना, अत्यधिक विभाजनकारी नीतियों और साम्प्रदायिक उकसावे के जरिए भयावह विघटन का सामना कर रहा है।
आज इस तथाकथित हिंदुराष्ट्र में लोगों के बीच आपसी द्वेष,नफरत और विभाजन पैदा किया जा है, जिससे दलितों/ उत्पीड़ित, महिलाओं और अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही हैं। राज्य सत्ता के समर्थन से, आरएसएस ने भारत में सभी संवैधानिक और प्रशासनिक संस्थानों के भगवाकरण के अलावा सामाजिक जीवन के हर पहलू को अपने जाल में फंसाने में सफलता हासिल की है। 2019 के मध्य से, यानी मोदी के नेतृत्व में, हिंदुत्व आक्रमण को एक अतिरिक्त गति मिली। दूसरी बार सत्ता में आने के तीन महीने के भीतर, मोदी ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के साथ शुरू होने वाली फासीवादी चालों की एक श्रृंखला शुरू की, जिससे एक ओर कश्मीर के टुकड़े हो गए और दूसरी ओर इसे जबरन भारतीय संघ में एकीकृत कर दिया गया। संविधान को मानने की शपथ लेने के बावजूद धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करते हुए, मोदी ने स्वयं बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर निर्माण की नींव रखी, जिसके बाद सीएए/एनआरसी के जरिए मुसलमानों के खिलाफ नागरिकता के अधिकार के मुद्दे पर भेदभाव करना और उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की ओर अग्रसर है।
अगला कदम नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के माध्यम से शिक्षा का भगवाकरण और कॉरपोरेटीकरण, राज्यों पर हिंदी और संस्कृत को थोपना और भारत के इतिहास व संस्कृति को साम्प्रदायिक तथा विकृत बनाना जारी है।बेशक, उनका एजेंडा बहुराष्ट्रीय, बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक, बहु-जातीय और बहु-धार्मिक भारत को कॉरपोरेट के प्रभुत्व वाले एक बहुसंख्यक हिंदु राष्ट्र में बदलना है।
इसी संदर्भ में ,जाति उन्मूलन आंदोलन, निर्मम जाति व्यवस्था और ब्राम्हणवादी धार्मिक कट्टरपंथ/ पाखंड के खिलाफ शोषित पीड़ित जनता की मुक्ति के नवजागरण आंदोलन के अग्रदूतों के रास्ते पर चलते हुए आगामी *”16-17दिसंबर 2023 को कोयंबटूर तमिलनाडु में जाति उन्मूलन आंदोलन ( CAM) के पांचवे अखिल भारतीय सम्मेलन”* का आयोजन किया जा रहा है। जाति उन्मूलन आंदोलन के पांचवे अखिल भारतीय सम्मेलन को तहे दिल से सफल बनाने के लिए तमाम जाति विरोधी, धार्मिक कट्टरता विरोधी जनवादी प्रगतिशील जनता से हम आह्वान करते हैं। साथ ही मौजूदा मुस्लिम-विरोधी, दलित-विरोधी, किसान, मजदूर, आम मेहनतकश जनता और घोर महिला विरोधी पितृसत्तात्मक आरएसएस के ब्राम्हणवादी/ मनुवादी फासीवाद के खिलाफ हम मेहनतकश वर्ग, देशभक्त,जनवादी, धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील अवाम और तमाम उत्पीड़ितों से अपील करते हैं कि आरएसएस के वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व के खिलाफ उठ खड़े हों तथा इसकी कब्र खोदने और एक सच्चे जनवादी भारत के निर्माण के लिए, सावित्री बाई फुले, फातिमा शेख, गुरु घासीदास, ज्योतिबा फुले, पेरियार, आयंकाली, नारायण गुरु, बाबासाहेब आंबेडकर और शहीद भगत सिंह के सपनों के भारत का निर्माण करने के लिए जाति उन्मूलन आंदोलन को मजबूती से आगे बढ़ाएं।
एक जाति विहीन, वर्ग विहीन, स्त्री पुरुष समानता और लैंगिक समानता वाले, वैज्ञानिक सोच संपन्न, धर्मनिरपेक्ष, सच्चे समतावादी भारत का निर्माण करने के लिए एकजुट हो। उक्त आशय की जानकारी समिति के बंडू मेश्राम, उत्तम जागीरदार, इनियावैन (आयोजन समिति की ओर से) जाति उन्मूलन आंदोलन ने दी जिनका संपर्क नंबर है – 9890269435, 8007005742, 9751890322