संपादकीय लेख – छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में फासिस्ट आर.एस.एस./भाजपा को हराना , लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए जरूरी क्यों ? – तुहिन

-

2014 के मध्य में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से, दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा फासीवादी संगठन आरएसएस , भारत को एक हिंदूराष्ट्र के रूप में बदलने की दिशा में सुनियोजित ताबड़तोड़ आक्रमण में लगा हुआ है। आरएसएस का वैचारिक आधार मनुवादी/ ब्राम्हणवादी हिंदुत्व है।जिसकी आधारशिला ” मनुस्मृति” है जिसके अनुसार दलितों उत्पीड़ितों,आदिवासियों,अल्पसंख्यकों,गरीब मेहनतकशों और महिलाओं को इंसान का नहीं गुलाम का दर्जा दिया गया है।इसके अलावा इसके तथाकथित हिंदुराष्ट्र में आरएसएस,मुसलमानों को नागरिकता और मानवाधिकारों से वंचित रखती है। असल में दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने फासीवादी संगठन आरएसएस ,बाबासाहेब डॉ आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान को खत्म कर घोर मानवता विरोधी ” मनुस्मृति” को महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घराने अडानी अंबानी के द्वारा शासित हिंदुराष्ट्र के संविधान के रूप में लागू करने में जुटी है।विशेष रूप से,मोदी के दूसरे कार्यकाल के तहत 2019 के बाद से,भारत “मोदीनॉमिक्स” का एक क्रूर स्वरूप भी देख रहा है,जो आज क्रोनी कैपिटलिज्म का भारतीय संस्करण है और अखिल भारतीय स्तर पर पूर्ण रूप से कॉर्पोरेट-भगवा फासीवाद का बहु-आयामी संस्करण है।अडानी अंबानी जैसे धनकुबेर महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घरानों के लठैत के रूप में आरएसएस/भाजपा भारत की जनता की गाढ़ी खून पसीने की कमाई को लूटकर अपने आका देशी विदेशी कॉरपोरेट घरानों की तिजोरी भर रहे हैं।

आज भगवा नव-फासीवाद के तहत देश का समूचा सामाजिक ताना-बाना,अत्यधिक नफरत भरे विभाजनकारी नीतियों और साम्प्रदायिक उकसावे के जरिए भयावह विघटन का सामना कर रहा है। इसका भयावह रूप मणिपुर से लेकर नूह ( हरियाणा) तक हम देख रहे हैं।

मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का नव-फासीवादी आक्रमण अपनी बहुआयामी अभिव्यक्तियों के साथ मौजूदा विधानसभा चुनाव और 2024 के आम चुनावों के संदर्भ में भयावह स्तर पर पहुंच गया है। धुर दक्षिणपंथी, नवउदारवादी-निगमीकरण और कॉर्पोरेट समर्थक श्रम,कर और पर्यावरण नीतियों का एक पूरा सेट, कुख्यात नोटबंदी और जीएसटी से,पहले मोदी.1 के तहत शुरू हुआ और मोदी.2 के तहत और तेज हो गया, जिसमें देश को बेचना भी शामिल है। भारतीय और विदेशी वित्तीय कुलीन वर्गों ने मिलकर भारतीय जनता की धमनियों में जो कुछ भी बचा है, उसे चूसकर भारत को पहले ही अभूतपूर्व रूप से भयावह स्थिति में पहुंचा दिया है। जबकि उत्पन्न संपत्ति का 80 प्रतिशत से अधिक सीधे शीर्ष एक प्रतिशत अति-अमीरों के पास जाता है, जिससे सबसे भ्रष्ट अरबपतियों के खजाने भर जाते हैं। आज़ादी के 75 साल बाद , मोदी के ” अमृत काल” में अमीरों और गरीबों के बीच अभूतपूर्व असमानता, भीषण बेरोजगारी, भूख( दुनिया ने सबसे भुखमरी पीड़ित देशों में भारत अग्रिम पंक्ति में है- 125 में 111वा स्थान) और भयावह मंहगाई के साथ, मोदी शासन के तहत भारत एक वैश्विक गरीबी का गढ़ बन गया है।

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव -छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में चुनाव संपन्न हुए।7 नवंबर को प्रथम चरण में बीस सीटों पर तथा 17 नवंबर को द्वितीय चरण में सत्तर सीटों पर चुनाव संपन्न हुए।दोनों चरणों में कुल मिलाकर 75.08 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि 2018 में मतदान का प्रतिशत 76.16 था। राज्य के 50 विधानसभा सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया।दोनों चरणों में कुल मिलाकर एक करोड़ पचपन लाख इकसठ हजार चार सौ साठ मतदाताओं ने वोट डाला।जिसमें पुरुष मतदाता सत्ततर लाख अड़तालिस हजार छैसो बारह थे और महिला मतदाताओं की संख्या अठत्तर लाख बारह हजार छैसो इकतीस थीं।आदिवासी बहुल इलाकों में महिलाओं ने ज्यादा मतदान किया।विदित हो कि छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बहुल और प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण राज्य है।जहां जल जंगल जमीन की लूट के लिए अडानी, टाटा,जिंदल,एस्सार जैसे कॉरपोरेट घरानों की गिद्ध दृष्टि लगी रहती है।राज्य में कुल पोलिंग बूथ 24137 हैं। 3 दिसंबर को 1724 दौर की मतपत्रों की गिनती के बाद चुनाव परिणाम की घोषणा होगी अन्य चार राज्यों के चुनाव परिणाम के साथ।

संघ परिवार की नफरत और विभाजन की राजनीति  छ-त्तीसगढ़ में पिछले पंद्रह साल से जनता को बदहाल करने वाली भारतीय जनता पार्टी 2018 में सत्ता खोने के बाद इस बार येन केन प्रकारेन सत्ता हासिल करने में लगी है। राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्र बस्तर में दो साल से भी अधिक समय से फासिस्ट संघ परिवार का अल्पसंख्यक मसीही समाज के खिलाफ तांडव चल रहा है लेकिन भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार अपने नर्म हिंदुत्व के लाइन पर चलकर मूक दर्शक बने बैठी थी।पिछले चुनाव के पहले, 15 साल से राज्य में काबिज भाजपा सरकार ,अपने मार्गदर्शक आरएसएस के निर्देशों पर आदिवासी से आदिवासी को लड़ाने का खूनी खेल खेलने के साथ साथ ,वनवासी कल्याण आश्रम सहित संघ परिवार के आनुषांगिक संगठनों की मदद से आदिवासियों के हिंदूकरण में जोर शोर से जुटी थी।2018 में जनता द्वारा फासिस्ट भाजपा का सूपड़ा साफ कर कांग्रेस को सत्ता सौंपा गया।लेकिन कांग्रेस भी कॉरपोरेट परस्त नीतियों और राम वनगमन पथ,कौशल्या मंदिर एवम गाय गोबर की राजनीति के जरिए संघ परिवार के वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व को खाद पानी दे रही है।

बस्तर में धुर दक्षिणपंथी फासिस्ट हिंदूवादियों की विशेष मुहिम की शुरुआत तब हुई जब गत वर्ष 26 अप्रैल को आरएसएस द्वारा निर्मित “जनजाति सुरक्षा मंच” की पहल से नारायणपुर जिले सहित कई स्थानों पर “रोको, टोको और ठोको” रैली व सभा का आयोजन कर ग्रामीणों को धर्मांतरित ईसाइयों के खिलाफ नफरती भाषण के जरिए भड़काया गया। उस दिन भाजपा नेता भोजराम नाग, रुपसाय सलाम,नारायण मरकाम आदि ने धर्मांतरित ईसाई आदिवासियों के खिलाफ डी लिस्टिंग करने ,उन्हे सरकारी सुविधाओं से वंचित करने और सामाजिक आर्थिक बहिष्कार करने की मांग की।तब से लगातार ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ लोगों को भड़काते हुए गत अक्टूबर से संघ परिवार हरकत में आया।बस्तर के कांकेर,कोंडागांव और नारायणपुर जिले के विभिन्न गांवों में तब से नफरत की आग सुलग रही है। विधान सभा चुनाव के बाद भी आज तक समाचार मिल रहा है कि मसीही समुदाय के पादरीगण तथा चर्च जाने वाले लोग जिनमें महिलाएं और बच्चे ज्यादा हैं को लगातार मारा पिता जा रहा है कि वे ईसाई धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लें नहीं तो गंभीर परिणाम होंगे।अभी हाल ही में दुर्ग जिले के अंडा के पास विनायकपुर में मसीही समुदाय जब प्राथना कर रहे थे तब उन पर बजरंग दल के गुंडों ने हमला किया और धर्मांतरण का आरोप लगाकर उनके साथ मारपीट की।कई जगह मसीही समुदाय का ग्रामों में सामाजिक आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है और उन्हें बलपूर्वक बिना घरेलू सामान के गांवों से बाहर खदेड़ दिया जा रहा है,यह बात पीयूसीएल और अन्य मानवाधिकार संगठनो की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट से खुलासा होता है।

पिछले साल 18 दिसंबर जो की सतनामी समाज के प्रमुख समाज सुधारक और जाति उन्मूलन के अग्रदूत गुरु घासीदास का जन्म दिवस है ,को संघ परिवार द्वारा व्यापक हिंसा फैलाया गया।हिंसा के फलस्वरूप जो विश्वासी/ ईसाई लोग गांव से भाग कर फरसगांव (कोंडागांव) में शरण ले रहे थे, उनको प्रशासन द्वारा जबरन गांव वापस भेजा गया। उनमें से ग्राम चिंगनार के लोगों के साथ फिर मार पीट होने की खबर आई। रात को ही पुरुष लोग अपनी सुरक्षा के लिए गांव से निकल कर जंगल में छुप गए थे, पर दूसरे दिन सुबह महिलाओं के साथ बहुत बुरी तरह से मारपीट हुई । उनका सामान भी बाहर निकाल कर फेंका गया । पटवारी और सरपंच महिलाओं को प्राथमिक उपचार के लिए ले गए थे, और फिर वापस गांव में ही छोड़ दिया है। थाने में रिपोर्ट लिखवाने से भी मना कर रहे हैं। इनके साथ 18 दिसंबर से लगातार मारपीट हो रही थी।सवाल ये है कि जब ये लोग खुद घर–बार छोड़ कर भाग के नारायणपुर/ फरसगांव आए हैं, इन्हे उसी भयावह माहौल में वापस क्यों धकेला जा रहा था? क्या प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं थी कि पहले गांव में समझौता करवाए, माहौल को शांत बनाए, फिर इन्हें वापस भेजे और इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ले? या फिर वह केवल अपनी जिम्मेदारी से हाथ धोना चाहती थी?नारायणपुर में 20 ग्रामों के 500 ईसाई अल्पसंख्यकों ने शरण लिया था।पहले प्रशासन ने इन्हे खुली जगह रुकवा दिया था,विरोध करने पर नारायणपुर इंडोर स्टेडियम में इन्हें रुकवाया गया है।अपने गर्म कपड़ों,बिस्तर,कंबल,भोजन की व्यवस्था सब मसीही समाज स्वयं कर रहा था,प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था।25 दिसंबर को क्रिसमस के दिन बेनूर थाने के अंतर्गत ग्रामों में ईसाई समुदाय पर हमला हुआ।पिछले तीन माह में 500 से अधिक नामजद शिकायतें आरएसएस/ भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज की गई थी लेकिन पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बनी रही।

इस वर्ष 2 जनवरी को अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा परवान चढ़ी जब हथियारबंद संघी गिरोह ने नारायणपुर जिले के बंगलापारा के सैक्रेड हार्ट चर्च पर हमला कर दिया।मौके पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक सदानंद सहित सात पुलिस कर्मी इस घटना में घायल हो गए।इस घटना के बाद पुलिस ने बाध्य होकर एक भाजपा नेता समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया है।मजे की बात है कि 2 जनवरी को नारायणपुर जिले के भाजपा अध्यक्ष रूपसाय सलाम के नेतृत्व में नारायणपुर में ईसाइयों के खिलाफ भड़काऊ सभा का आयोजन किया गया।जिला कलेक्टर अजीत वसंत ने पत्रकारों से कहा कि रुपसाय सलाम और अन्य भाजपा नेता,रैली / सभा को शांतिपूर्ण बनाए रखने का वादा किए हैं।लेकिन करीब 2000 लोग नारायणपुर में इकठ्ठे होकर विश्वपीठ स्कूल और सैक्रड हार्ट चर्च पर हमला कर उसे तहस नहस कर दिया।

इसके अलावा फासिस्ट संघ परिवार की पहल से और सत्तासीन कांग्रेस के कई नेताओं की मदद से रायपुर सहित कई शहरों में तथाकथित ” धर्मसंसद” का आयोजन किया गया। जिसमें अपराधी पृष्ठभूमि के ढोंगी बाबा धीरेंद्र शास्त्री ( बागेश्वर धाम) ने गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या को हिंदू धर्म की रक्षा के लिए जायज ठहराया।व्यापक निंदा और आलोचना के बाद कांग्रेस सरकार ने उसकी गिरफ्तारी का आदेश दिया जब तक वह छत्तीसगढ़ से निकल गया था।

जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस फिर से एक बार धर्मनिरपेक्षता को समझे और हिंदुत्ववादियों की पिच पर खेलना छोड़ दे।कांग्रेस की गाय गोबर वाली सॉफ्ट हिंदुत्व की नीति से उसे तनिक भी लाभ नहीं होगा क्योंकि लाभ तो फासिस्ट संघ परिवार को जाना है। जो जल जंगल जमीन पर आदिवासियों के अधिकार को भटकाने और कॉरपोरेट घरानों की लूट को सुगम बनाने के लिए मनुवादी हिंदुत्व का जहर आदिवासी समाज के भीतर घोल रही है।कांग्रेस सरकार अगर जनता का दिल जीतना चाहती है तो उसे कांग्रेस के भीतर और पुलिस प्रशासन में छुपे और खुले मनुवादी हिंदुत्व के पैरोकारों को निबटाना पड़ेगा।लेकिन अपने वर्गचरित्र के चलते कांग्रेस,ये फासीवाद विरोधी पोजीशन लेगी इसमें संदेह है।सर्व आदिवासी समाज और अन्य आदिवासी संगठनों को चाहिए कि वे आरएसएस के इस तथाकथित हिंदुराष्ट्र के अभियान को समझें,उससे दूरी बनाए और आदिवासी समाज में चेतना पैदा करें कि आदिवासी कभी हिंदू नहीं थे।आरएसएस के घोषित संविधान मनुस्मृति के अनुसार आदिवासी,दलित ,महिला आदि सब शुद्र हैं जिन्हे मानव का दर्जा नहीं प्राप्त है।जल, जंगल जमीन पर अधिकार,मूलभूत मानव अधिकार,जीने की आजादी के लिए आदिवासियों की लड़ाई को भटकाना आदिवासियों के दुश्मन,कॉरपोरेट घरानों के दलाल संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतों की चाल है,धर्मांतरित ईसाई उनके अपने हैं।मूल लड़ाई कॉरपोरेट घरानों और उनके दलाल आरएसएस नवफासीवादियों से जनता की है। वामपंथी जनवादी संघर्षशील संगठनों को चाहिए कि वे पूरे देश और छत्तीसगढ़ में एक न्यूनतम कार्यक्रम के आधार पर व्यापक संघी फासीवाद विरोधी लड़ाकू मोर्चा का निर्माण करें अन्यथा कल बहुत देर हो जाएगी।संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतें,बस्तर से लेकर बीरनपुर बेमेतरा तक अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय,मुस्लिम समुदाय, आदिवासी एवं दलितों को अपने आतंकी फासिस्ट मुहिम का प्रमुख निशाना बना रही है और सिर्फ और सिर्फ क्रूर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए विधानसभा चुनाव को जितना चाहती है।चूंकि देश में तो आरएसएस/ भाजपा की अति सक्रियता से अडानी जैसे महाभ्रष्ट धन्नासेठ कॉरपोरेट घरानों का अमृतकाल चल रहा है। और आजादी के बाद सबसे ज्यादा गरीबी,भुखमरी,बेरोजगारी और मंहगाई भी आरएसएस/ भाजपा की घोर जनविरोधी नीतियों के कारण ही है।इसीलिए भाजपा के पास बीरनपुर में पड़ोसियों के आपसी विवाद के शिकार ( जो कतई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं था) मृतक के पिता ईश्वर साहू को उम्मीदवार बनाया गया और ” हिंदू खतरे में है” का राग अलाप कर चुनाव जितने का मंसूबा बनाया गया है।

चुनाव जितने में हथकंडों का प्रयोग-राज्य में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट( ED) के ताबड़तोड़ छापे कांग्रेस सरकार और पार्टी के लोगों पर पड़े।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर महादेव एप मामले में 500 करोड़ से अधिक घुस लेने का आरोप ED ने लगाया।हालांकि जिस व्यक्ति के नाम पर केंद्रीय आर्थिक अपराध निदेशालय ने मुकदमा भूपेश बघेल पर लगाया था उसी व्यक्ति ने कहा कि उसने किसी राजनेता को घूस नहीं दिया।प्रधानमंत्री मोदी,गृहमंत्री अमित शाह से लेकर भाजपा के तमाम दिग्गज संस्कारी नेताओं द्वारा राज्य में चुनाव प्रचार में आकर केवल नफ़रत और विभाजन का जहर फैलाने में और विरोधी नेताओं के खिलाफ असभ्य भाषा के प्रयोग करने में आपस में होड़ मची हुई थी।इस मामले में भारत चुनाव आयोग की भूमिका हमेशा की तरह फासिस्ट ताकतों के अनुयाई की रही।

महंगा चुनाव और बेनामी पैसा -चुनाव आयोग के अनुसार छत्तीसगढ़ के विधान सभा चुनाव के दरम्यान 76.9 करोड़ रुपए के अवैध सामान जिसमे नकदी,ड्रग्स,शराब और कीमती धातुओं की वस्तुएं शामिल हैं जब्त की गई हैं।पिछले विधान सभा चुनाव के दरम्यान करीब 6.2 करोड़ रूपए मूल्य के सामानों की जब्ती की गई थी।इसका मतलब है चुनाव दिनोदिन महंगा होता जा रहा है और चुनाव में बेनामी खर्च बढ़ता जा रहा है।जाहिर है कि ये बेनामी पैसा महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घरानों / धन्ना सेठों द्वारा प्रदत्त काला धन है जिसे नरेंद्र मोदी 2014 के आम चुनाव में हर देशवासियों को 15-15 लाख देने का वायदा( जुमला) किए थे।ऐसे माहौल में गरीब प्रत्याशी भले ही वह कितना भी ईमानदार ,लड़ाकू और जनता के प्रति समर्पित हो का और छोटी पार्टियों का जो जनवादी हैं और जनपक्षीय मुद्दों पर हमेशा संघर्ष करती हैं का चुनाव लडना बहुत मुश्किल होता जा रहा है।

चुनावी दशा और दिशा -राज्य में कांग्रेस और भाजपा के अलावा चुनावी मैदान में जनता कांग्रेस( जोगी), आम आदमी पार्टी ( आप) अलग अलग लड़ रही है।बहुजन समाज पार्टी ( बीएसपी) और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का चुनाव में आपस में गठबंधन है।वामपंथी दलों में भाकपा 16 ,माकपा 3, भाकपा माले लिबरेशन 2 और भाकपा (माले)रेड स्टार 1 सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

एक अलग प्रयोग-ऐसे अंधकारपूर्ण समय में गत दिसंबर 2022 में दुर्ग ,छत्तीसगढ़ में समान विचारों वाले संगठनों को लेकर राज्य स्तर पर एक फासीवाद विरोधी “जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़” का गठन किया गया है। जन संघर्ष मोर्चा,छत्तीसगढ़ का गठन ,पिछले दो सालों के भीतर बंगाल,केरल,तमिलनाडु,उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में संचालित “फासिस्ट आरएसएस/ भाजपा को पराजित करो, लोकतंत्र संविधान की रक्षा करो” ( Defeat Fascist RSS/ BJP,Save Democracy Campaign) मुहिम से प्रेरित है। जहां एक मात्र उत्तर प्रदेश को छोड़कर जो की ब्राम्हणवादी/ मनुवादी हिंदुत्व की प्रयोगशाला है ,बाकी हर राज्य में इस प्रकार का अभियान चलाया गया और फासिस्ट संघ/ भाजपा की हार सुनिश्चित की गई।इसी प्रकार की पहल जनवादी, अंबेडकरवादी और संघर्षशील संगठनों की ओर से मध्यप्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में भी किया गया ।

*अभियान का उद्देश्य था -छत्तीसगढ में नवंबर 2023 विधानसभा चुनाव में जनता के दुश्मन नंबर एक फासिस्ट संघ/ भाजपा को परास्त करने के लिए भाजपा विरोधी वोटों के विभाजन को रोकना और राज्य विधानसभा के हर सीट पर जो उम्मीदवार,भाजपा को हरा सकता है उसका समर्थन करना। साथ ही इस अभियान का यह भी उद्देश्य था कि जनता के एक हिस्से के जेहन में गहराई से पैठ जमाए फासीवादी मनुवादी हिंदुत्व के नफ़रत और विभाजन के जहर को खत्म करना और आज़ादी की लड़ाई के दरम्यान हासिल साझी शहादत,साझी विरासत ” की परंपरा को पुनर्जीवित करना। लोकतंत्र, संविधान और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा हर कीमत पर करना।

आगामी 3 दिसंबर को जब राज्य विधानसभा चुनाव का परिणाम आएगा तो उम्मीद तो यह है कि राज्य के तमाम वामपंथी , किसान मजदूर,महिला,विद्यार्थियों ,दलित,आदिवासी,अल्पसंख्यक ,जनवादी ,प्रगतिशील जनता, आरएसएस नवफासीवाद जिसका राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी है के खिलाफ अपना जनादेश देगी और अडानी अंबानी के हित में हिंदुराष्ट्र और इसके कथित संविधान मनुस्मृति को लागू करने के षड्यंत्र का मुंहतोड़ जवाब देगी।

संपर्क- तुहिन( 9425560952)tuhin @ Yahoo com* महासचिव,क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच ( कसम) और केंद्रीय समन्वय समिति सदस्य,जाति उन्मूलन आंदोलन।

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

Sorry, there are no polls available at the moment.

आज का राशिफल देखें