Home बड़ी खबर जागरूकता, जांच और दवा से जान बचा सकते हैं लोग – सारंगढ़ सीएचएमओ डॉ एफ आर निराला।

जागरूकता, जांच और दवा से जान बचा सकते हैं लोग – सारंगढ़ सीएचएमओ डॉ एफ आर निराला।

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जागरूकता, जांच और दवा से जान बचा सकते हैं लोग – सारंगढ़ सीएचएमओ डॉ एफ आर निराला।

।।खबर सिद्धार्थ न्यूज़ से नीलकांत खटकर।।

सारंगढ़ बिलाईगढ़ 26 नवंबर 2023 । जिला के मुख्य चिकित्सा एवम् स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एफ आर निराला ने विभिन्न बीमारियों से बचने और इलाज के बारे में विस्तार से बताया उन्होंने कहा की यदि 30 वर्ष के अधिक उम्र की कुल मृत्यु को देखे तो 83 प्रतिशत मौत हो रही। इनकी मौत को कम करने के लिए शासन के अनेकों कार्यक्रम है। यदि हम मौत की विश्लेषण में बीमारी अनुसार (वाइस) देखे तो सर्वाधिक मौत 440 में 206 मौतें असंक्रामक बीमारियों से हो रही है। हमें इस बात पर फोकस करना होगा कि 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगो की मृत्यु कैसे होती है। जिसमें मुख्य रूप से उच्चारक्त चाप और उनके साइड इफेक्ट (कॉम्प्लिकेशन), मधुमेह एवम इनके कॉम्प्लिकेशन एवम कैंसर की बीमारी है। मुख्य रूप से इन्ही कारणों से 30 प्लस की मृत्यु होती है। कुल मृत्यु माह अक्टूबर 23 में 440 हुई है। इसमें से 206 लोगो की मृत्यु केवल उच्च रक्त चाप,शुगर और कैंसर से हुई है जो कुल मृत्यु का 47 % है। ये असंक्रामक श्रेणी की बीमारी है। वही दूसरी तरफ संक्रामक रोगों से मृत्यु की संख्या नगण्य है। अर्थात आज समुदाय में होने वाले अधिकतम मौत असंक्रामक श्रेणी के हैं,जिनको हम कम कर सकते है क्योंकि ये फैलते नही है। जिनको होता है उन्ही में रहता है यही कारण है की इन्हे बचाया जा सकता है,लेकिन एक ही बात जरूरी है 30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगो की जांच इन बीमारियों के कोई लक्षण हो तो उसकी पहचान जरूरी है। इसके लिए शासन से बहुत ही महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित है। मितानिन के माध्यम से हम 30 वर्ष के ऊपर के लोगो की एक जांच करते है, जिसमे हाई रिस्क कैटेगरी की पहचान पहले ही की जा सकती है, जिसे समुदाय आधारित मूल्यांकन प्रपत्र के नाम से जानते हैं। इस प्रपत्र में परिवार के सभी सदस्य जिनकी उम्र 30 वर्ष से अधिक उम्र है, उनका भरा जाना है। इस प्रपत्र में समुदाय से जानने के लिए कुल 6 प्रश्न है। जैसे उम्र कितनी है ? ,क्या आप दारू पीते है ? , क्या आप तंबाखू का सेवन करते है ? कमर की नाप कितनी है ,रोज कितना चलते है ? , और अंत में ये भी पता करते है की आप ब्लड प्रेशर ( बीपी) या शुगर की दवाई खा रहे है क्या ? इसमें ये भी पूछा जाता है कि आपके परिवार में मां ,पिता जी ,भाई बहन किसी की मृत्यु इन बीमारी से हुई तो नही है ? इन प्रश्नों में अंक दिए गए है यदि इन अंको की जोड़ 4 से ज्यादा होती है। तब यह हाई रिस्क की श्रेणी में आता है और इन्ही व्यक्ति को बीपी ,शुगर के लिए वर्ष में एक बार, एवम कैंसर के लिए 5 वर्ष में एक बार जांच जरूरी है। इन हाई रिस्क ग्रुप के व्यक्तियों को उनके स्वस्थ जीवन शैली के बारे में बताया जाता है। यदि व्यक्ति स्वस्थ जीवन शैली को अपना ले और नियमित जांच कराए ।बीमार होने की स्थिति में नियमित दवाई लेते रहे तो 30 वर्ष के ऊपर में उच्च रक्त चाप ,शुगर एवम कैंसर से होने वाले नुकसान या मौत को कम कर सकते है।
श्री निराला ने आगे कहा की आज सर्वाधिक मौत स्ट्रोक ,पक्षाघात,हार्ट अटैक से होती है। शासन इसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारी कर रखी है। आज सभी स्वास्थ्य केंद्र, वेलनेस सेंटर के रूप में वीक शीट किए गए है, जहां सीबैक फॉर्म भरना, सबकी बीपी, शुगर जांच करना साथ में स्तन कैंसर ,मुंह के कैंसर और सर्वाइकल कैंसर की प्राथमिक लक्षण को पता लगाना है। मितानिन ऐसे व्यक्तियों को सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) के पास भेजते है, जो जांच करती है। जरूरत के हिसाब से वे मेडिकल ऑफिसर को सत्यापन के लिए भेजती है। बीपी शुगर होने पर उनका पंजीयन किया जाता है और इन्हें नियमित रूप से दवाई की सप्लाई सीएचओ के द्वारा दी जाती है। यदि हाई रिस्क ग्रुप के व्यक्ति स्वस्थ जीवन शैली अपनाए। खानपान में परहेज करे ,नशा वगैरह से दूर रहे ,रोज पैदल चलता रहे ,नमक शक्कर कम से कम सेवन करे एवम दवाइया नियमित ले साथ में जांच करवाता रहे तो ये निश्चित मान के चलिए उच्च रक्त चाप ,मधुमेह से होने वाले नुकसान को बहुत कम किया जा सकता है और इससे होने वाले मौत को भी कम कर सकते हैं। उम्मीद करते हैं 30 वर्ष के ऊपर के प्रत्येक व्यक्ति स्वयं से पास के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर जाकर अपना जांच जरूर करवाए एवम स्वस्थ जीवन शैली को अपना कर एक सच्चे नागरिक होने का धर्म निभाएंगे। माह अक्टूबर में हुए मौत में किडनी की बीमारी ,लीवर की बीमारी ,मिर्गी की बीमारी ,दमा , एक्सीडेंट से मौत ,जहर खाकर मरना,आत्महत्या करना ,पानी में डब कर मरना ,सर्प दंश से मौत ये सभी भी असंक्रामक है। यदि इनको भी जोड़ते है तब बहुत ही कम बीमारी जिसमे मुख्यतः टीबी की बीमारी ही बचता है जो संक्रामक श्रेणी में आता है। समुदाय में टीबी एवम कुष्ठ दो संक्रामक बीमारी हमारे जिले में देखे जा रहे है, लेकिन टीबी की बीमारी में मौत तो होती है लेकिन कुष्ठ की बीमारी में कोई मौतें नही होती, लेकिन ये दोनो संक्रामक बीमारी की श्रेणी में है और इनका भी आंकलन समुदाय आधारित प्रपत्र में की जाती है हमारे जिले में कुष्ठ प्रकरण बहुत ज्यादा है इससे मौत नही होती लेकिन विकलांगता जरूर होती है। इस कारण अब पंचायत स्तर पर प्रत्येक पंचायत को टीबी मुक्त,तंबाखू मुक्त एवम कुष्ठ मुक्त करने की कार्यवाही प्रगति पर है समुदाय में किसी भी व्यक्ति को टीबी के लक्षण या कुष्ठ के लक्षण दिखते है तो तुरंत ही अपने मितानिन या स्वास्थ्य कार्यकर्ता से संपर्क कर सकते है। ऑनलाइन कॉल के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सारंगढ़ में ऑनलाइन कॉल करके इसंजीवनी या टेलीकेंसल् टेंशन के माध्यम से भी सेवा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने पास के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) से संपर्क करना होगा। हमारे जिले में सर्प दंश से 3 मौतें एवम कुत्ता काटने से 2 मौत की जानकारी मिली है। प्रत्येक मौत की विश्लेषण करके हमे उसके कारण को जानने का प्रयास करना चाहिए।