Home बड़ी खबर फ़िलिस्तीन की जनता के साथ एकजुटता से खड़े रहें! फ़िलिस्तीनी क्षेत्र पर ज़ायोनी/ इसराइली कब्जे की निंदा करें जो इसे उग्रवाद का केंद्र बना रहा है – पी जे जेम्स

फ़िलिस्तीन की जनता के साथ एकजुटता से खड़े रहें! फ़िलिस्तीनी क्षेत्र पर ज़ायोनी/ इसराइली कब्जे की निंदा करें जो इसे उग्रवाद का केंद्र बना रहा है – पी जे जेम्स

0
फ़िलिस्तीन की जनता के साथ एकजुटता से खड़े रहें!   फ़िलिस्तीनी क्षेत्र पर ज़ायोनी/ इसराइली कब्जे की निंदा करें जो इसे उग्रवाद का केंद्र बना रहा है – पी जे जेम्स

भाकपा( माले) रेड स्टार महासचिव पी जे जेम्स की कलम से,,,,,,

 

।।द्वारा सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

 

नई दिल्ली 08 अक्टूबर 2023 । 7 अक्टूबर, योम किप्पुर दिवस (यहूदी धार्मिक दिवस) पर, ठीक 6 अक्टूबर, 1973 के योम किप्पुर युद्ध की 50वीं वर्षगांठ पर, इज़राइल के सैन्य प्रतिष्ठानों और शहरों पर हमास द्वारा अत्यधिक समन्वित और सावधानीपूर्वक नियोजित बहु-आयामी हमला जारी है। फिलिस्तीनियों पर व्यवस्थित इजरायली पुलिस छापे और हमलों में नवीनतम वृद्धि जिसमें इजरायल,लगभग दैनिक आधार पर 200 से अधिक फिलिस्तीनियों की हत्या के परिणामस्वरूप हमास द्वारा हालिया बदले की कारवाई की गई है। इजरायल के हमलों जिसमें अप्रैल में जेरूसलम की अल अक्सा मस्जिद पर पुलिस की छापेमारी, जुलाई में वेस्ट बैंक शहर जेनिन में छापेमारी आदि शामिल है, में काफी फिलिस्तीनियों की जानें गईं हैं। पिछले 50 वर्षों में हमास की ओर से यह अब तक की सबसे बड़ी जवाबी कार्रवाई ज़ायोनीवादियों/ यहुदीवादी या इसराइली शासकों के खिलाफ है जो लंबे समय से फिलिस्तीनियों के असंतोष, गुस्सा और हताशा को दर्शा रहा है।इजरायल के करीबी सहयोगियों और वैश्विक खिलाड़ियों जैसे की अमरीकी साम्राज्यवाद और यूरोपीय संघ की ओर से किसी भी शांति प्रक्रिया की पूर्ण अनुपस्थिति ,जो केवल पश्चिम एशिया में अपने भू-राजनीतिक हितों के अनुसार ज़ायोनी/ इसराइली शासन का उपयोग करने में रुचि रखते हैं। इसके अलावा इजरायल के नव-फासीवादी नेतन्याहू शासन के खिलाफ अभूतपूर्व घरेलू विरोध ने नागरिक और सैन्य प्रशासन में खुफिया विफलताओं सहित इसकी अंतर्निहित कमजोरियों को उजागर किया है, यहां तक कि इजरायल के विपक्षी दल भी फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ हमले को तेज़ करने के लिए एकजुट हैं।

ऐसे समय में जब अपने साम्राज्यवादी आका अमेरिका के आशीर्वाद से इजरायली शासन ने सऊदी अरब सहित ‘अरब दुनिया’ के साथ राजनीतिक संबंधों को सामान्य बनाने की बात शुरू कर दी है, जिसमें अपरिहार्य होने पर फिलिस्तीनियों को नाममात्र की रियायतें देना शामिल है। हमास के हमले ने पश्चिमी ताकतों द्वारा सृजित “नए मध्य पूर्व” की ऐसी आशाओं को चकनाचूर कर दिया। इसने क्षेत्र में साम्राज्यवादी चीन की पैठ के खिलाफ पश्चिम एशिया की भू-राजनीतिक गतिशीलता को फिर से स्थापित करने की बिडेन प्रशासन की उम्मीद को भी बर्बाद कर दिया है। साथ ही, फिलीस्तीन के कई स्थानों और गाजा पट्टी के अंदर ज़ायोनी/ इसराइली हमलों से मरने वालों की संख्या अब तक सैकड़ों लोगों तक पहुंच चुकी है और अभी भी कई मौतों की सूचना मिलनी बाकी है। और आने वाले दिनों में और भी भयावहताएं आने वाली हैं। युद्धोपरांत नवउपनिवेशवादी व्यवस्था में दुनिया के सबसे उत्पीड़ित जनता में से एक फ़िलिस्तीनी लोगों की ज़ायोनीवाद और साम्राज्यवाद से मुक्ति कठिन और कम से कम तत्काल भविष्य में और भी कठिन होने वाली है।

इस बीच, अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित पश्चिमी साम्राज्यवादी गुट और उनके सहयोगी, हमेशा की तरह, फिलिस्तीनियों पर बढ़ते इजरायली हमलों पर कुछ भी उल्लेख किए बिना हमास द्वारा “आतंकवादी हमलों” की स्पष्ट रूप से निंदा करने के लिए आगे आए हैं और साथ ही साथ ज़ायोनी आक्रामकता को आत्मरक्षा के अधिकार की आड़ में उचित ठहराया है। लेकिन वे फ़िलिस्तीनियों के लिए इस अधिकार की घोर उपेक्षा करते हैं। इसके बाद, मोदी शासन ने, फ़िलिस्तीनियों के साथ एकजुटता की भारत की पूर्ववर्ती विदेश नीति को से पूरी तरह से विचलित होकर और बढ़ते भगवा-ज़ायोनी एकीकरण के प्रतीक के रूप में, फ़िलिस्तीनी प्रश्न पर या यरुशलम और पश्चिमी तट पर फ़िलिस्तीनियों पर इज़रायली हमलों में वृद्धि पर कुछ भी कहे बिना हत्यारे इजरायली शासकों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की है। मजे की बात है कि प्रधान मंत्री मोदी, जिन्हें कुछ घंटों के भीतर इज़राइल के साथ एकजुटता की घोषणा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, उनके पास मई 2023 से मणिपुर में लंबे समय तक चले दंगों पर टिप्पणी करने का समय नहीं था, जिसमें कई सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों लोग विस्थापित हुए। इस बीच, कई मध्य पूर्वी देशों और यहां तक कि बर्लिन में भी फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता में प्रदर्शन की खबरें आ चुकी हैं।

फ़िलिस्तीनी लोगों के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, सर्वहारा अंतर्राष्ट्रीयतावाद की भावना को कायम रखते हुए, सीपीआई (एमएल) रेड स्टार उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनियों के साथ एकजुटता से खड़ा है। अब समय आ गया है कि मजदूर वर्ग और दुनिया के सभी उत्पीड़ित लोग साम्राज्यवाद और ज़ायोनीवाद के खिलाफ उठ खड़े हों और मुक्ति के लिए उनके संघर्ष में फ़िलिस्तीनियों के साथ एकजुटता से आगे आएं।