Home बड़ी खबर राजनीति बिलाईगढ़ की : बिलाईगढ़ के एससी सांसद, विधायकों ने अनूसूचित जाति वर्ग के लिए क्या किया क्या नहीं किया ??? इन वर्ग के साथ कैसे अपने ही एमपी, एमएलए ने छलावा किया??? तीसरा विकल्प क्या हो सकता है पढ़िए पूरी संपादकीय खबर,,,,,,,

राजनीति बिलाईगढ़ की : बिलाईगढ़ के एससी सांसद, विधायकों ने अनूसूचित जाति वर्ग के लिए क्या किया क्या नहीं किया ??? इन वर्ग के साथ कैसे अपने ही एमपी, एमएलए ने छलावा किया??? तीसरा विकल्प क्या हो सकता है पढ़िए पूरी संपादकीय खबर,,,,,,,

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राजनीति बिलाईगढ़ की :  बिलाईगढ़ के एससी सांसद, विधायकों ने अनूसूचित जाति वर्ग के लिए क्या किया क्या नहीं किया ???  इन वर्ग के साथ कैसे अपने ही एमपी, एमएलए ने छलावा किया??? तीसरा विकल्प क्या हो सकता है पढ़िए पूरी संपादकीय  खबर,,,,,,,

।। संपादकीय सिद्धार्थ न्यूज़ से नीलकांत खटकर।।भाग 2

 

रायपुर 08 अक्टूबर 2023 । आपको संपादकीय के भाग 1 में क्षेत्र के पत्रकार और सतनामी समाज के मीडिया प्रभारी दरस राम टंडन ने कहा था कि बिलाईगढ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा,कांग्रेस के विधायक,सांसद बनकर क्षेत्र के अपने ही समाज के लोगों की बात अनसुना कर देते हैं उनके साथ गलत तरीके से पेश आते हैं बीजेपी, कांग्रेस अनुसूचित जाति का वोट लेकर कैसे उनके साथ छलावा करते हैं आपको इससे रूबरू करा दिए हैं। वरिष्ठ पत्रकार श्री टंडनजी ने आगे कहा की क्षेत्र में सतनामी समाज (SC) की जनसंख्या इतनी ज्यादा है की ये दोनों पार्टियां भाजपा, कांग्रेस अनुसूचित जाति का वोट लेकर विधायक बनने के बाद समाज को ये दोनों पार्टियां लात मार देती है। समाज के लोगों को खरी खोटी सुनाई जाती है,उनके काम रोके जाते हैं,उनको अपने ही समाज का सतनामी विधायक हमारी पार्टी (भाजपा, कांग्रेस) को वोट नहीं दिए हो कहकर प्रताड़ित करते हैं अपने ही लोगों का वोट लेकर जितने के बाद यहीं विधायक समाज के लोगों के साथ अन्याय,अत्याचार के तमाम हथकंडे अपनाते हैं।मैंने दूसरे उच्च वर्ग के लोगों के मुंह से ये बातें सुनी हैं की आपके सतनामी समाज के विधायक होकर आप लोगों के साथ इतना अन्याय,अत्यचार,कष्ट क्यों हो रहे हैं। यहां के बीजेपी, कांग्रेस के विधायक द्वारा सतनामी अधिकारी,कर्मचारी को बड़े पदों से हटाया जाता है,इनका स्थानांतरण बस्तर कर देते हैं,समाज के मीडिया के बंधुओं तक को ये प्रताड़ित करने में नहीं डरते, नहीं हिचकिचाते ।

श्री टंडन ने कहा की सतनामी समाज के लोगों को वोट नहीं दिए हो कहकर उनके साथ बदसुलूकी करते हैं, उनकी शिकायते नहीं सुनी जाती,उनके कामों को टरकाया जाता है,रोका जाता है,समाज के लोग जब विधायक के कार्यालय जाते हैं तो उन्हें कार्यालय से भगाया जाता है,अपने पद का दुरुपयोग करके प्रशासनिक अधिकारियों को बोलकर उनको प्रताड़ित करते हैं।विधायक बनने के बाद समाज के लोगों को प्रोटोकाल के नाम पर धमकी चमकी दी जाती है।मुझे समझ नहीं आता की एमपी, एमएलए के द्वारा दुत्कारने के बावजूद समाज इन पार्टियों को वोट क्यों देता है ?? क्या इनके पास कोई तीसरा विकल्प नहीं है ?? बसपा भी तो तीसरा विकल्प हो सकता हैं लेकिन इन चमचों को नीला झंडा पकड़ने पर शर्म आती है। ऐसा तीसरा विकल्प को जीता कर समाज के हर वर्ग को मान सम्मान के साथ साथ सामाजिक, आर्थिक,राजनीतिक,प्रशासनिक स्तर पर परिवर्तन कर समाज को मुख्य धारा में मजबूती से जोड़ा जा सकता है ।क्या इस समाज को गुलामी,अन्याय,अत्याचार के बीच रहना पसंद है सतनामी समाज की अकल कब आयेगी जो मनुवादी पार्टीयों से चिपका हुआ हैं ?? बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर के सन्देश है जो विचार है,उनकी अपील है ,जो समाज को आहवान किया है क्या देश/राज्य का अनुसूचित जाति ये भूल गया है की 100 – 200 साल पहले वंचितों के साथ कैसा बर्ताव किया गया और आज भी अनवरत जारी है। अगर अनुसूचित जाति भाजपा ,कांग्रेस को वोट नहीं दिया तो सारा वोट गया तो गया कहां?? यदि इस जाति का एक तरफा ही बहुजन समाज पार्टी को वोट जाता तो आरक्षित सीट के सभी विधानसभा क्षेत्र में वर्षों से बहुजन राज करती लेकिन समाज के लोग मनुवादी पार्टियां के 500 – 1000 रू , दारू,मुर्गे,चुनावी जुमले में बिक जाते हैं। डॉ आंबेडकर और मान्यवर कांशीराम साहब ने बहुजन समाज के लोगों को पहले ही कह चुके हैं कि “हमारे समाज के पढ़े लिखे लोगों ने समाज को धोखा दिया है “और वाकई में उनकी बाते सच साबित हुई।

वरिष्ठ पत्रकार टंडन जी ने आगे कहा की आज भी देखा जाय तो भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर द्वारा निर्मित संवैधानिक अधिकारों के पद पाकर डॉ.अंबेडकर (सम्पूर्ण वाड्मय खण्ड-17, पृ.-74 आरक्षण का सम्बंध) ,कांशीराम साहब और बहुजन समाज में जन्म लिए तमाम संतों, गुरुओं व महापुरुषों की मानवतावादी विचारधारा को दरकिनार करके भूल गए ये पढ़े लिखे लोग अपने समाज को गलत संदेश देकर ,भड़काकर वोट को बेचने का काम करते हैं। बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने 1930 में प्रथम गोलमेज सम्मेलन में सबको (One men One Vote, One Value) वोट का अधिकार दिलाये। मान्यता और कुछ अधिकार मिलने के बाद अनुसूचित जाति के लोगों ने बड़ी संख्या में शिक्षा प्राप्त की। इन शिक्षित लोगों को सरकारी नौकरी बडी संख्या में मिली है । कुछ शिक्षित व अर्द्ध शिक्षित लोगों को विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपना लिया ताकि वे अनुसूचित जाति वोट बैंक तक अपनी पहुंच बना सकें। इस तरह वर्तमान चुनाव में नौकरी व सेवानिवृत्त वाले कर्मचारी भारी संख्या में समाज की सेवा के बहाने टिकट मांगने में लम्बी लाइने लगाए हैं इसे उत्पीड़ित संभ्रांत वर्ग है जिन्हें ये दोनों ही इन्हें चमचों की तरह इस्तेमाल करते हैं। चमचों को अवसर व प्रोत्साहन दिए जाते हैं किंतु तमाम तरह की कठिनाइयां और अयोग्यताएं भी लादी जा रही हैं।इस सब ने उनमें नेतृत्व हीनता की स्थिति पैदा कर दी है।

उन्होंने आगे कहा की वे “Pay back to society” नहीं करते जबकि उन्हें अपने समाज की जनंसख्या के आधार/अनुपात में आरक्षण का संवैधानिक अधिकार स्वप्रतिनिधित्व के तहत नशीब हो पाया है। जो महापुरुषों के आजीवन संघर्षों के बदौलत मिल पाया है।भारत विपुल भूमि ,जल,खनिज और मानव संसाधनों वाला एक विशाल देश है जो वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से उन्नत है।इतना सब होते हुए भी यह विश्व का सबसे गरीब और पिछड़ा देश है । चमचा युग का यह नीकुष्टतम अनिष्टकर प्रभाव है। क्योकि यदि एक अल्पसंख्यक समुदाय (15%) को बहुसंख्यकों (85%) पर राज करना है तो उसे बहुसंख्यकों को अज्ञानी, असहाय,गरीब और पिछड़ा बनाकर रखना ही होगा।इस तरह बहुसंख्यकों को अज्ञान और असहायता की स्थिति में रखने की चिंता में ,शासक जातियों के दोनों पार्टी ने देश को गरीब और पिछड़ा बनाए रखा है।