आरक्षित वर्ग के लोगों को छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति आयोग से नहीं मिल रहा है न्याय।आयोग के अनुशंसा के बाद भी आयोग के अधिकारी नहीं कर रहे हैं कोई कार्यवाही।आयोग के संबंधित अधिकारी आरोपों से घिरे।

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।।खबर सिद्धार्थ न्यूज़ से नीलकांत खटकर।।

 

रायपुर 01 अक्टूबर 2023 ।प्रदेश में अनुसूचित जाति आयोग अब नाम मात्र का रह गया है क्यों की उनके अनुशंसा पर संबंधित अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं करते जिससे अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को सरकार की योजनाओं का कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है। इससे अनुसूचित जाति के लोगों में नाराजगी व्याप्त हैं। अधिकारीयों की इस रवैए से पीड़ित एससी वर्ग के लोगों ने उच्च वर्ग के अधिकारियों को हटाकर अपने खुद के वर्ग के अधिकारियों की पदस्थापना करने की मांग कर रहे हैं ताकि उनका काम समय पर हो सके। आयोग के वर्तमान में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी उच्च वर्ग के होने के कारण ये भेदभाव करते हैं तथा जो फायदा अनुसूचित वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलना चाहिए वह अन्य वर्ग को मिलता है।कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं की अनुसूचित जाति आयोग के सभी पदों को सामान्य वर्ग के हवाले कर दिया जाएं।आपको आगे बता रहें हैं की कैसे उच्च वर्ग के अधिकारी शासन की योजनाओं को आर्थिक रूप से सक्षम अपने चहेते लोगों को प्रभार सौंप देते हैं और आयोग के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष के बार बार लिखित निर्देशों के बावजूद पालन करना जरूरी नहीं समझते।

ऐसा ही एक मामला है राजधानी से सटे हुए गांव जोरा में स्थित मिडिल स्कूल में मध्यान भोजन का संचालन एवं वितरण का लेकर हुई गड़बड़ी का एक मामला सामने आया है । मामला वर्ष 2017 का है मिडिल स्कूल जोरा में मध्यान भोजन का संचालन जय सतनाम महिला स्व सहायता समूह के द्वारा किया जाता था सदस्यों में आपसी मतभेद होने के कारण सर्वसम्मति से नए अध्यक्ष एवं सचिव की नियुक्ति की गई थी जिसकी सूची पंजीयन कार्यालय रायपुर द्वारा दिनांक 6. 6 .2016 को जारी की गई थी जिसके बाद भी पुराने अध्यक्ष सचिव के द्वारा हस्ताक्षर कर चावल एवं कुकिंग कास्ट की राशि का आहरण माह दिसंबर 2017 तक करते रहे जिसकी सूचना बी ई ओ धरसीवा को देने पर कोई कार्रवाई नहीं हुई समूह के सदस्यों ने नए पदाधिकारी को मध्यान भोजन का संचालन का जिम्मा सौंपने हेतु अनुरोध करते रहे किंतु वर्ष 2018 में समूह को सदस्यों को बिना कोई सूचना के संचालन से हटा दिए गया एवं संचालन का जिम्मा एन.जी .ओ. को सौंप दी गई। आरक्षित वर्ग के महिला सदस्यों ने शासन प्रशासन से न्याय नहीं मिलने के कारण दिनांक 16.01 .2018 को छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति आयोग रायपुर में इसकी शिकायत की गई। इस मामले को लेकर कई प्रमुख अख़बारों में भी खबर छपी है।

आयोग द्वारा मामले का संज्ञान लेते हुए दिनांक 28. 2. 2018 को जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर एक माह के भीतर प्रतिवेदन सौंपने कहा गया एवं साथ ही गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों एवं लोगों के द्वारा वास्तविक तथ्यों को छुपा कर शासकीय पैसों का दुरुपयोग करने वाले के ऊपर कार्यवाही करते हुए पुनः ग्राम जोरा के महिला स्व सहायता समूह के नए पदाधिकारी के नाम संचालन करने निर्देश जारी करने की अनुशंसा की गई पर डी ई ओ कार्यालय रायपुर पर इस निर्देश का कोई असर नहीं हुआ। आयोग ने पुनः दिनांक 29 .11 .2018 को डी. ई.ओ. रायपुर को पत्र लिखकर कहां गया की 8- 9 माह बीतने के बाद भी विभागीय प्रतिवेदन नहीं सौपना खेद जनक है एवं माननीय अध्यक्ष के द्वारा नाराजगी व्यक्त की गई है इन बातों का उल्लेख कर विभागीय प्रतिवेदन सौंपने हेतु एक माह का समय पुनः दिया गया किंतु इन पत्रों और आयोग की अनुशंसा को 04 वर्ष से भी अधिक समय बीत गया है लेकिन बी ई ओ कार्यालय रायपुर पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है ।आरक्षित वर्ग के हितों का संरक्षण एवं न्याय दिलाने हेतु आयोग का गठन किया गया हैं यदि इन संस्थाओं से लोगों को न्याय नहीं मिलेगा तो आयोग के कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है। यह तो सिर्फ एक मामला संज्ञान में आया हैं ऐसे ना जाने कितने मामले को अधिकारी वर्ग रोक कर रखें हुए हैं। इस संदर्भ में रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारती ने बताया कि इस मामले की मुझे जानकारी नहीं है कार्यालय जाकर संज्ञान लेकर जांच पड़ताल कर आगे की कार्यवाही करूंगा।

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