अंतर्जातीय विवाह के अस्सी साल बाद भी सामाजिक बहिष्कार की दंश झेल रहा है कुर्मी परिवार। GSS प्रमुख लखन सुबोध ने पीड़ितों को न्याय दिलाने का किया आश्वस्त।

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।।खबर सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

 

बिलासपुर/बेमेतरा 29 सितंबर 2023 ।भारत में जाति व्यवस्था किस कदर हावी है आप पढ़ेंगे तो दंग रह जाएंगे।भारत इतनी तरक्की की है करोड़ों अरबों किलोमीटर दूर सूरज और चांद की पड़ताल करने अपना यान भेज रहा है वहीं दूसरी ओर आज भी भारत में जाति वाद किस तरह जकड़ा है उसे सुनकर भी आप हैरान हो जाएंगे। बात 80 साल पहले की है एक ही समुदाय के युगल अलग अलग जाति के थे वर कुर्मी तो वधु साहू लेकिन दोनों तो पिछड़ा वर्ग के हुए इसके बावजूद एक समुदाय एक धर्म के बाद भी इस दंपत्ति को समाज अपना नहीं रहा है,फिर कैसे कहेंगे कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और भारत पूरी दुनिया का राष्ट्र गुरु बनने जा रहा है ?? आखिर यह कैसी व्यवस्था है जो हिंदू धर्म और पिछड़ा वर्ग होकर भी समाज अपना नहीं रहा है शामिल नहीं कर रहा है ??वहीं यह परिवार 80 साल से सामाजिक बहिष्कार से पीड़ित हैं इसके लिए न शासन पहल कर रहा है न प्रशासन।पता नहीं यह परिवार कितने सालों तक और दंश झेलेगा इस सामाजिक कुरीतियां कब तक इनका पीछे पड़ेगी यह आने वाला कल के गर्भ में हैं लेकिन इस परिवार पर जो जुल्म,सितम 80 साल से ढाया जा रहा है यह मानव समाज के लिए शर्मनाक हरकत है। इस बर्बरता के बारे में जो भी सुनेगा एक बार क्या कई बार समाज के ऐसे ठेकेदारों को गाली देगा और देश के सिस्टम पर भी उंगलियां उठेगी।

यह बर्बर और शर्मनाक कहानी ग्राम अमोरा, थाना नांदघाट, जिला बेमेतरा, (छ.ग.) की है जहां राधेश्याम वर्मा का परिवार सालों से जातिवाद के जंजीरों में बंधा व फंसा हुआ है।राधेश्याम वर्मा ने बताया की उनके पिताजी गहवयी कुर्मी रहे और उन्होंने साहू जाति की माता से 80 साल पहले शादी की थी।आज वे दोनों इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन जाति वाद और सामाजिक कुरीतियां उनका अभी भी पीछे नहीं छोड़ रहा हैं इनका परिवार पिछले 80 साल से पीड़ित हैं और मानवता तार तार हो रही है फिर भी जाति के इन ठेकेदारों का दिल नहीं पसीज रहा है। जाति समाज के ये सारे मुखिया सिर्फ पैसे खाने के लिए बैठे हैं उनकी दुकानदारी खूब फल फूल रहा है नेता,मंत्रियों से भी ये मिलेजुले हैं इनको 5 पेटी या 10 पेटी चाहिए समाज में मिला लेंगे नहीं पैसे देंगे तो 80 साल क्या कई सौ साल तक आपका सामाजिक बहिष्कार बरकरार रहेगा। ये सामाजिक ठेकेदार आपके किसी भी दुख सुख में साथ नहीं देंगे तड़प तड़प कर परिवार मर जाएगा कोई दवा,पानी के लिए,अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं पूछेगा।आपको जेल की कैदियों से भी बदतर परिस्थितियों में रहना होगा,सहना होगा आपके लिए कोई सख्श मदद करने के लिए सामने नहीं आएगा।आपको बता दें की इनके परिवार को गहवई कुर्मी जाति के ठेकेदारों द्वारा सामाजिक बहिष्कार कर आज भी प्रताड़ित कर रहा है।पीड़ित परिवार द्वारा अनेकों बार थाना, मानवाधिकार आयोग, मंत्री- संत्री को आवेदन दे चुका है लेकिन आज पर्यंत कोई कार्यवाही नहीं हुई।चूंकि जहां पर जाति धर्म की बात आती है वहां राजनीतिक दल भी दूरियां बढ़ा लेती हैं इसका समाधान करने में उनका हाथ पांव फूलने लगता है। बात वोट की है यदि परिवार को मिला दिया जाता है तो उनके वोट को चोट लगेगी और मनुवाद पार्टियां इसका समाधान करना जरुरी नहीं समझती। सामाजिक बहिष्कार से पीड़ित परिवार ने जब GSS प्रमुख लखन सुबोध से संपर्क कर अपनी 80 साल की आप बीती और पीड़ा बताई तो वे भी सन्न रह गए क्यों की ऐसी घटना के बारे में उनको पहली बार सुनने को मिला तब सुबोध जी ने पीड़ित परिवार के गांव घर जाकर उनकी ब्यथा को सुना और न्याय के लिए हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया।

 

 

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