ये सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला है यहां के तहसीलों में वसीयतनामा भी नहीं चलता । राजनेता के जबरदस्ती हस्तक्षेप से तहसीलों में वसीयतनामा के आधार पर नामांतरण आदेश भी लंबित हो रहें हैं।

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खबर सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

 

बिलाईगढ़/भटगांव 1 सितंबर 2023 । आपको पिछले दिनों भटगांव थाना की पुलिस और क्षेत्र में दबंगों द्वारा गरीब प्रार्थियों को कैसे आरोपी बनाया जा रहा उनके साथ हुई ज्यादादती के बारे में रूबरू कराया गया ।आज आपको कुछ तथाकथित नेता ,राजनेता तहसील के कई कामों में हस्तक्षेप कर न्यायालय व आवेदकगणों के वक्त बर्बाद कर न्यायालयीन प्रकरण में भी अडंगा डाल रहें हैं जिससे पीड़ित न्यायालय के चक्कर काटने मजबूर हैं।आइए बताते हैं कैसे इन तथाकथित नेताओं से न्यायालय का काम प्रभावित हो रहा है। सरसीवां के पास का एक गांव में जो आवेदकों के साथ जो कुछ हो रहा है इसके बारे में बताना बहुत जरूरी है।एक किसान के 5 पुत्र,5 पुत्रियां हैं जिनमें बड़े पुत्र तथाकथित नेता हैं जो कभी भाजपा,तो कभी कांग्रेस,तो कभी निर्दलीय,तो कभी कैंची छाप की पार्टियों से मोटी रकम लेकर अपना जीवनयापन चलाते हैं जहां से पैसा मिल जाए उस पार्टी से काम करते हैं।अब ज्यादा राजनीति की बाते न करते हुए चलिए मामले पर जाते हैं उस किसान ने अपने बड़े पुत्र होने के नाते 33 साल पहले लगभग 6 एकड़ (शेष भूमि मात्र 4 भाइयों के लिए 8 एकड़ बची ) भूमि दी थी। किसान अपने बड़े पुत्र की लालचपन,स्वार्थ से पहले से वाकिफ हो गए थे की मेरी मृत्यु के बाद जमीन बंटवारा पर बड़े पुत्र अडंगा डालकर छोटे भाइयों बहनों को परेशान करेगा।ऐसे भी वह तथाकथित नेता कभी अपने छोटे भाई बहनों को न पढ़ाई में मदद की न विवाह में सहगोग किया उल्टे छोटे भाइयों ने उनके हर मुश्किल वक्त में आर्थिक मदद की। इधर किसान बार बार बीमार पड़ रहे थे हृदयाघात के मरीज भी थे इस कारण उन्होंने मृत्यु के पहले ही अपने 4 पुत्रों के नाम बाकी बची जमीन का नामांतरण बंटवारा हेतु वसीयतनामा लिख 2 गवाहों के समक्ष नोटरी का पंजीयन भी करा कर अपने बेटों को दे दिए थे।विगत अप्रैल 2023 को उस किसान का निधन हो जाता है।दशकर्म के बाद एक दिन सभी भाई बहन की बैठक होती है सबके सामने उनसे पूछा गया की अब पिता जी नहीं रहे बड़े भैया होने के नाते आप हम 9 भाइयों बहनों के भूमि नामांतरण में पिता जी का फर्ज निभाते हुए मार्गदर्शन दें उन्होंने (अनावेदक और आपत्तिकर्ता) सभी भाई बहनों के बीच कहा की मुझे मेरे पिता ने 33 साल पहले ही मेरे हिस्से की भूमि बंटवारा में दे दी है बाकी बची भूमि आप 9 भाई बहनों आपस में राय लेकर बंटवारा करा सकते हैं जहां दस्तखत करना होगा मैं कर दूंगा स्टांप पेपर ले आएं। बहनों को पूछा गया उस समय सभी 5 बहनों ने पैतृक संपत्ति लेने से इंकार कर 4 भाइयों के नाम वसीयतनामा के आधार पर बंटवारा पर सहमति जताते हुए स्टांप पेपर में सभी बहनों ने हस्ताक्षर किया। जब बड़े भाई के पास हस्ताक्षर लेने उनके घर गए तो भड़क गए और उस स्टांप पेपर में हस्ताक्षर करने से साफ इंकार कर दिया।

सभी 9 भाई बहन ने इस वसीयतनामा के आधार पर नामांतरण करने अधिवक्ता के मार्फत तहसील न्यायालय भटगांव में आवेदन किया। पेशी की तिथि मिली भटगांव के तत्कालीन तहसीलदार मैडम के समक्ष माता सहित 9 आवेदकगण भाई, बहन,माता कोर्ट में उपस्थित हुए तहसीलदार ने वृद्ध माता, सभी बहनों को एक एक करके पूछा तो कोर्ट में सहमति जताते हुए तहसीदार के समक्ष हस्ताक्षर किया।अनावेदक क्र 1 जो आवेदकों के बड़े भैया हैं उन्होंने इस मामले पर आपत्ति जताई आपत्तिकर्ता ने कभी अंश के आधार पर बंटवारा करने कोर्ट में आवेदन देते तो कभी अन्य कारणों का आवेदन देकर आपत्ति करते रहे ।फिर अगली पेशी गवाही साक्ष्य के लिए तय हुई गवाहों ने भी अपना बयान देकर वसीयतनामा पर खुद के हस्ताक्षर करने की बात करते हुए कोर्ट में भी हस्ताक्षर किए। कोर्ट में दोनों पक्षकार के वकील उपस्थित थे सभी की सहमति,सार्थक बयान पर अनावेदक के वकील को कहा की इस प्रकरण में बहुत ज्यादा वक्त नहीं दे पाऊंगी चूंकि यह प्रकरण वसीयतनामा है वसीयतनामा का निराकरण जल्द करना होता है।इसी बीच उस अनावेदक तथाकथित नेता ने एक सत्ता पक्ष के नेता के पास जाकर गलत जानकारी देकर,गुमराह कर तहसीलदार मैडम को इस प्रकरण पर निर्णय न लेने व प्रकरण को लंबित रखने फोन कराते हैं।उसके बाद से मैडम ने राजनीतिक दबाव में आकर अनावेदक को 25 दिन का समय दे दिया फिर भी अनावेदक ने अपना पक्ष नही रख पाया,उनके तरफ से कोई वकील भी खड़े नहीं हुए । पहले एक एक हप्ते का समय पर पेशी होती थी अब एक एक माह में पेशी हो रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इस पूरे मामले में उस सत्ता पक्ष के नेता का हाथ बताया जा रहा है जिससे आवेदकों और न्यायालय का वक्त बर्बाद हो रहा है ऊपर से पीड़ित आवेदकों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है।इसी बीच उक्त तहसीलदार का अन्य स्थान ट्रांसफर हो गया।अब लोग यह देखना चाहते हैं कि सरसीवां तहसील के नवीन तहसीलदार क्या निर्णय लेते हैं । इधर क्षेत्र के लोगों का कहना है की सत्ता पक्ष के नेता को ऐसे मामलों पर दोनों पक्ष की बात सुनें बिना हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए चूंकि यह न्यायालयिन मामला है।ऐसे भी अनावेदक को 6 एकड़ जमीन मिल चुकी है बाकी 8 एकड़ बचत भूमि 4 भाइयों ( 2- 2 एकड़ ) को मिलेगी उसमें भी अनावेदक को एतराज नहीं करना चाहिए।राजस्व संहिता में नियम निहित है की वसीयतनामा प्रकरण पर जल्द से जल्द सुनवाई करना होता है वहीं यह भी उल्लेख है की पैतृक भूमि का एक बार हिस्से मिलने के बाद भूमि का दो बारा बंटवारा दिया जाना न्यायोचित नहीं होता।आपको बता दें की न्यायालय मामलों पर मीडिया कम लिखती है चूंकि माननीय न्यायालय का निर्णय न्याय संगत होते हैं लेकिन ऐसे नेताओं के कारण जो सत्ता का दुरुपयोग कर न्यायालालयीन मामलों पर जब हस्तक्षेप किया जाता है तो मीडिया को मजबूरी में कलम चलाना पड़ जाता है।आज की हालातों को देखते हुए सबको वसीयतनामा लिखकर 2 गवाहों से हस्ताक्षर व नोटरी कराकर अपने देखभाल करने वाले संतान को यह स्टांप सौंप देना चाहिए ताकि ऐसे नेताओं के हस्तक्षेप से बचा जा सके।हमारा सिद्धार्थ न्यूज आपको सतर्क और सावधान करना चाहता है की इस मामले पर आप भी अपने देखभाल, सेवाजतन करने वालों के नाम पर वसीयतनामा लिखकर दे दें ताकि आपके सेवक को ज्यादा न्यायालयीन चक्कर काटना न पड़े।इस संदर्भ में भटगांव के नव पदस्थ तहसीलदार अर्पण कुर्रे को इस पक्ष में उनका क्या कहना है इस बारे में जानने जब हमारे एडिटर इन चीफ ने उनके मोबाईल नंबर पर 2 बार कॉल किया लेकिन उन्होंने मोबाईल रिसीव नहीं किया।

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