Home प्रदेश विश्व हाथी दिवस पर विशेष ।करंट से गजराज की मौत पर चुप्पी वन विभाग की कार्यप्रणाली पर है सवाल।

विश्व हाथी दिवस पर विशेष ।करंट से गजराज की मौत पर चुप्पी वन विभाग की कार्यप्रणाली पर है सवाल।

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विश्व हाथी दिवस पर विशेष ।करंट से गजराज की मौत पर चुप्पी वन विभाग की कार्यप्रणाली पर है सवाल।

कसडोल। देशभर में विश्व हाथी दिवस के अवसर पर हाथी दिवस मनाया गया। लेकिन वन मंडल बलौदाबाजार में विश्व हाथी दिवस पर जिस तरह जिला प्रशासन और वन विभाग की टीम ने बार अभ्यारण्य में विश्व हाथी दिवस मनाया यह तो वन्य जीवों के प्रति उनकी संवेदनशीलता दर्शाता है, लेकिन यहाँ सवाल यह उठता है कि क्या हाथी दिवस पर ही हम हाथी के नियंत्रण और संवर्धन की बात करेंगे या वास्तविक में उनका संरक्षण भी करेंगे यह एक अहम सवाल है, दरअसल हम इसलिए कह रहें है क्योंकि वन विभाग में नवागत डीएफओ के पदस्थापना के बाद नवम्बर माह से ही वन्य जीवों के अस्तित्व पर संकट छा गया है, विभागीय नियंत्रण न होने के साथ उनके कार्यकाल में अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना दर्शाता है, दरअसल बलौदाबाजार वनमंडल के मुखिया के आगमन के बाद ही नवम्बर माह में 3 दिनों के बाद देवपुर रेंज के पकरीद विश्राम गृह के समीप हाथी की मौत करेंट से होने की जानकारी मिलता है, जबकि वन्य नियमों की बात करें तो बीट गार्ड लगातार मॉनिटरिंग करते है, इसके अलावा परिक्षेत्र अधिकारी सहित तमाम अधिकारी भी वन्य क्षेत्रों का मॉनिटरिंग करते है बावजूद पकरीद विश्राम गृह के समीप शिकारियों ने 11केवी करेंट का तार बिछा रखा था जिसके संपर्क में आने पर वन्य जीव उम्र लगभग 15 से 18 वर्ष के हाथी की मौत हो गई थी उस समय लगातार विभाग के अधिकारी और गैर जिम्मेदार अधिकारियों की कारस्तानी समाचार पत्रों के सुर्खिया बटोर रही थी ऐसे में हाथी दिवस पर हाथी और मानव द्वंद पर बात कहाँ तक हजम होगा यह तो विभाग ही जाने, क्योंकि विभाग की गैर जिम्मेदारी लगातार सामने आ रही है, लगातार वन्य जीव काल के गाल में समा रहें है, आये दिन चीतल शिकार हो रहे या विभाग द्वारा छिपा दिए जा रहे है, लेकिन जो मामले सामने आये है उसमें लगातार विभाग की गैर जिम्मेदारी सामने आई है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि विभाग के मुखिया क्या कर रहे है, क्या विभाग के मंत्रि और पीसीसीएफ भी अनभिज्ञ है या जानकारी के बावजूद वन्य जीवों को गैर जिम्मेदार अधिकारी के भरोसे छोड़ दिया गया है, बहरहाल विवादों से घिरा वन विभाग को नए मुखिया के अलावा संवेदनशील अधिकारी की जरूरत अब महसूस हो रही है। इधर विभाग के मुखिया नियमों की बात करते है लेकिन उनके कर्मचारी समाचार कवरेज कर रहें पत्रकारों को धमकाते है, लेकिन मुखिया के पास शिकायत होने के बावजूद कार्रवाई धरातल पर नही दिखता। इसके अलावा कसडोल पत्रकार संघ भी वन विभाग के कार्यक्रमो का बहिष्कार कर चूके है, जिसपर विभाग द्वारा खबरें स्थानिय स्तर पर कवरेज नही होने पर जिला मुख्यालय से खबरें प्रसारित की जा रही है, लकिन अब देखना होगा कि विभाग के वन मंत्री सहित तमाम जिम्मेदार अधिकारी इस मामले पर क्या कार्रवाई करते है।