कसडोल। बलौदाबाजार वनमंडल के अंतर्गत बारनवापारा अभ्यारण्य के रामपुर चारागाह के पास कक्ष क्रमांक 112 में 6 अगस्त रविवार एक नर चीतल की मौत का मामला सामने आया है।वही गत दिनों भी पास के चारागाह रामपुर कक्ष क्रमांक 127 में एक नर काले हिरण की मौत इस अभ्यारण्य में भी हुई थी।बहरहाल इस नर चीतल की मौत के मामले में सूचना लगते ही घटना स्थल पहुंचे फारेस्ट गार्ड मिथिलेश ठाकुर ने स्वयं व सहयोगी राकेश भोई और काम कर रहे 2 अन्य मजदूरों के साथ पर्यटक मार्ग के किनारे मृत हुये इस नर चीतल की लाश को अन्यत्र करीब 200-250 मीटर की दूरी पर जंगल की झाड़ियों में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दिए बगैर छुपा दिया था।और जब मामला धीरे-धीरे फैलने लगा तो अपनी इस गैर जिम्मेदारराना हरकत को छुपा न सके और सवालों का जवाब देते हुए मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि यह घटना करीब आज 2:30 बजे की आसपास की है।इस मृत नर चीतल के पीछे करीब 8-9 आवारा कुत्तों की काटने की वजह से इसकी मौत हुई है।इसकी सूचना मैं अपने उच्च अधिकारियों को अभी तक नहीं दिया हूँ जाकर बताने की बात कही।आखिर क्या वजह रही होगी कि मृत नर चीतल की लाश को ढाई घंटे तक फारेस्ट गार्ड ने अपनी उच्च अधिकारियों को त्वरित तौर से सूचना देना भी मुनासिब नहीं समझा।और ऐसी क्या वजह रही होगी कि मृत चीतल की शव को उक्त घटना स्थल अपने सहयोगियों से साथ घनी झाड़ियों के बीच जंगल मे छुपा दिया जाता है।यह मामला कई तरह के सवालों को पैदा करता प्रतीत हो रहा है।और ऐसे न जाने कितने मामले जंगल की घोर अंधेरो में गुम हो जाता होगा ये तो वही बता सकते हैं।बहरहाल मामला प्रकाश में आते ही वन-अमलो की भागम-भाग मृत चीतल को छुपाए स्थान की शुरू हो जाती है।तबतक झाड़ियों में छुपाए गए चीतल की शव को कुत्ते ने नोज खा वही मँडराते दिखे वहाँ कोई भी जवाबदार व्यक्ति इस दौरान नजर नहीं आये।वही इस संबंध में फोन से वन अधीक्षक बारनवापारा अभ्यारण्य आनंद कुदर्रिया ने कहा कि आज डॉक्टर नहीं आएगा कल आएंगे तो पोस्टमार्टम किया जायेगा फिलहाल मृत चीतल की शव को सुरक्षित रखने के लिए कर्मचारियों को बोला हूँ।