।।द्वारा सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।
दिल्ली 29 जुलाई 2023। कांग्रेस समर्पित मनुवादी मीडिया का एक हिस्सा बार बार दलित आदिवासियों को समझाने मे कामयाब हो जाता है कि बसपा के ताकतवर होने से कांग्रेस कमजोर हो जाती है और जिसके कारण भाजपा को फायदा हो रहा हैं| पहली बात तो ये कि बसपा ने या दलित आदिवासियों ने कोई ठेका तो नही ले रखा कि वो अपनी बलि देकर कांग्रेस को मजबूत बनवायें| और दुसरी बात, 2014 के चुनाव के बाद से बसपा कई राज्यों मे कमजोर हुई है जैसे दिल्ली मे, हरियाणा मे, युपी मे – इन राज्यों मे तो कांग्रेस मजबूत हो जानी चाहिए थी लेकिन इन राज्यों मे तो कांग्रेस बुरी तरह कमजोर हुई है और भाजपा ने उल्टा हरियाणा और यूपी मे दो दो बार सरकार बना वी हैं| इसका कोई मतलब समझायेगा कोई चैनल कि बसपा कमजोर होने से कांग्रेस कमजोर कैसे हुई??
राजस्थान, छतीसगढ़, मध्यप्रदेश आदि राज्यों मे 2014 के बाद बसपा के प्रदर्शन मे कई चुनावो मे बहुत ज्यादा वोटो का उतार चढ़ाव नही है, फिर वहाँ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जीते लेकिन लोकसभा चुनाव बुरी तरह हारे, बताईये क्यों??बसपा के चुनाव लड़ने से या ना लड़ने से कांग्रेस को फायदा है या भाजपा को, इससे बसपा को क्या लेना देना और अगर कांग्रेस को लगता हैं कि वो बसपा के कारण हार रही है, तो बसपा से सम्मानजनक सीटों पर गठबंधन करके चुनाव लड़े और अपना प्रदर्शन सुधारे, ये तो give & take हैं| अभी 2023 मे राजस्थान, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़ वो तेलंगाना मे विधानसभा चुनाव होने है, गठबंधन के लिए बहनजी से बात करो, मुझे लगता है कि राजस्थान मे 200 मे से 35-40 सीटें, मध्यप्रदेश मे 230 मे से 40-45 सीटें, छतीसगढ़ मे 90 मे से 20-25 सीटें मिलने पर बसपा को सम्मानजनक सीटें और कांग्रेस को इन तीनो राज्यों मे सत्ता मिल सकती हैं| तेलंगाना मे आर एस प्रवीण कुमार के नेतृत्व मे बसपा काफी अच्छा परिणाम लाने की ओर बढ़ रही है और कांग्रेस वहाँ कमजोर हो चुकी हैं, दोनो को आधी आधी सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए, सत्ता मिले तो अढ़ाई अढ़ाई साल मुख्यमंत्री पद का बटवारा किया जा सकता हैं|
कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने मे चारो राज्यों मे बसपा वीनिंग फैक्टर बनकर उतर सकती हैं, बसपा मजबूत होने से ही कांग्रेस मजबूत होने के ज्यादा चांस हैं, बाकी परिणामो मे देख लेना, कितना सही हैं| #दिलबाग_सिंह