समान नागरिकता संहिता को लेकर पूर्व सीबीआई मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल ने राजनीतिक दलों को घेरा।

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बिलासपुर 11 जुलाई 2023 ।न्यायधानी सहित दूर दराज के आम नागरिकों को मुफ़्त में कानूनी सलाह देने वाले सीबीआई मजिस्ट्रेट की कुर्सी में सेवा दे चुके और वर्तमान में आज भी बेवजह क़ानून की राडार में आ चुके लोगों तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ जनहित सहित न्यायहित की लड़ाई लड़ने वाले पूर्व सीबीआई मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल ने समान नागरीकता कानून को लेकर राजीनीतिक दलों पर सीधे सवाल खड़े किये है और अपनी बातों को मीडिया के माध्यम से जनता के सामने रखे है;आरएसएस, भाजपा व आम आदमी पार्टी के खुला समर्थित समान नागरिकता संहिता के व्यवस्था व प्रावधानों में सबके लिए समान परिस्थितियों में समान शिक्षा, समान चिकित्सा, सस्ता व आसानी से स्वरूचि के भोजन, रोजगार के समान अवसर नही हैं।

 

समान नागरिक संहिता के शब्द बाण से हमको सम्मोहित किया जा रहा है, जिस देश मे समान शिक्षा, समान चिकित्सा, सस्ता व आसानी से स्वरूचि के भोजन, रोजगार के समान अवसर होगा, उस देश मे स्वतः सब लोग समान नागरिक ही बन जाएंगे।

 

पर ऐसा तभी होगा, जब आप आरएसएस, भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी को त्याग करेंगे?

 

क्या जो जो अपात्र लोग देश व समाज का नेतृत्व कर रहे हैं, नेतृत्व करना छोड़कर, योग्य व्यक्तियों को नेतृत्व दे रहे हैं?

 

मूर्खो आरएसएस, भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी को छोड़ दीजिए, नही छोड़े तो तुम्हारे बच्चों की औसत आयु 40 साल हो जाएगी, आज 60 साल तो हो ही चुकी है।

 

इतनी बर्बादी के बाद भी नही सुधरोगे? तो आप इन दलों व संगठन को कब त्याग करेंगे?

 

आज समान नागरिक संहिता कोरी बकवास हैं, पूंजीपतियों के लिए, आरएसएस, भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के लिए मदारी के तमाशा जैसे मनोरंजन कर हमारा विश्वास में लेने का साधन बन गया हैं।

 

जब किसी व्यक्ति, समाज, प्रदेश, देश के पास कोई अधिकार या औकात होती हैं तो उस अधिकार व औकात को साम्य पूर्ण, प्राकृतिक न्याय के उद्देश्य से नियंत्रित करने के लिए नियम कानून बनाये जाते हैं, परआज भारत आम नागरिक के लिए ऐसी स्थिति नही हैं कि समान नागरिक संहिता का लाभ मिले।

 

भारत मे आज समान नागरिक संहिता बनाना ऐसा कार्य व नीति हैं जैसे रेगिस्तान में बांध व तालाब बनाना।

 

पहले हमको संविधान प्रदत्त समान शिक्षा, चिकित्सा, न्याय, अवसर, भोजन, पानी, हवा मिले, सुरक्षा मिले, रोजगार मिले जिसे भाजपा व कांग्रेस की नीतियों से नही मिल रहा है फिर समान नागरिक संहिता को बाद में देखेंगे।

 

कुल मिलाकर भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी को वोट न दीजिए। समान नागरिक संहिता का चर्चा व बहस केवल हमको गुमराह कर सत्ता में दुबारा अपराधी लोग कब्जा करना चाहते हैं।

 

खाने के लिए दाने नही हैं और अभाव में पशु तुल्य जीवन जी रहे है और कौन सी सम्पत्ति हैं जो तुम्हारे बीच परिवार में सही बंटवारे नही हो रहे हैं तो समान नागरिक संहिता लागू होने से सम्पत्ति मिल जावेगा।

 

रोजीमज़दूरी का समान बंटवारा करेंगे, क्या? भारत के टॉप 100 फर्जी पूंजीपतियों के धन को अधिग्रहण कर समान नागरिक संहिता के तहत पूरे भारत के गरीबों समान वितरण कर रहे हैं, क्या?

 

अब 12 से 14 घण्टे मजबूरी की मजदूरी करने पड़ रहे हैं।

 

मुख्यतः आरएसएस, भाजपा को जब से भारत व विभिन्न राज्यों में सत्ता मिली हैं तो समान नागरिक संहिता के उद्देश्य के आधार पर बने भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता 1973, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को भी पालन खुद नही कर पा रहे हैं और बड़ी बड़ी बात कर समान नागरिक संहिता की बात कर रहे हैं।

 

गुजरात के न्यायालय, छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश के न्यायालय तथा महाराष्ट्र के न्यायालय तथा केरल व तमिलनाडु के न्यायालय के फैसलों को देख लीजिए भारतीय दंड संहिता 1860 के दुरुपयोग व अपालन को देख लीजिए

 

आरएसएस, भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी को त्याग कर दीजिए, सब कुछ ठीक हो जाएगा।

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