रायपुर 25 जून 2023 । प्रदेशभर के कर्मचारी संगठनों ने एकजुटता का परिचय देते हुए कर्मचारी हित में मिलकर लड़ने का फैसला लिया है।सभी कर्मचारी संगठनों ने छग कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा का गठन किया है।इस मोर्चा में छग कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन, छग कर्मचारी अधिकारी महासंघ, मंत्रालय कर्मचारी संघ, संचालनालय कर्मचारी संघ, छग टीचर्स एसोसिएशन सहित समस्त कर्मचारी एवं शिक्षक संगठन शामिल रहेंगे।संयुक्त मोर्चा में शामिल प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष करन सिंह अटेरिया ने बताया कि मंत्रालय एवं संचालनालय रायपुर में आयोजित हुए मैराथन बैठक में विस्तृत चर्चा के बाद सभी संगठन प्रमुखों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।पांच सूत्रीय मांगों के लिए पहले सात जुलाई को एक दिवसीय हड़ताल किया जाएगा, इसके बाद भी मांगों पर निर्णय नहीं लिए जाने पर एक अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल प्रारम्भ किया जाएगा।
प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष करन सिंह अटेरिया ने बताया कि पांच सूत्रीय मांगों में सातवें वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा भत्ता, केंद्रीय कर्मचारियों की तरह देय तिथि से मँहगाई भत्ता, अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण, प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर पुरानी पेंशन योजना का लाभ एवं जन घोषणा पत्र-2018 के अनुरूप चार स्तरीय वेतनमान दिया जाना शामिल है।
गृहभाड़ा भत्ता में भारी नुकसान – सातवें वेतनमान को एक जनवरी 2016 से लागू किया गया है, लेकिन गृहभाड़ा भत्ता आज पर्यन्त तक छठवें वेतनमान के आधार पर ही 10 प्रतिशत एवं 7 प्रतिशत के दर से दिया जा रहा है, जबकि छत्तीसगढ़ में पदस्थ केंद्रीय कर्मचारियों को सातवें वेतनमान में एक जुलाई 2017 से 16 एवं 8 प्रतिशत तथा एक जुलाई 2021 से 18 एवं 9 प्रतिशत के दर पर गृहभाड़ा भत्ता दिया जा रहा है।एक ही राज्य में कार्यरत केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों-अधिकारियों को गृहभाड़ा भत्ता स्वीकृति के मामले में दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है।इस दोहरा मापदंड के करण राज्य के कर्मचारियों-अधिकारियों को जनवरी 2016 से मई 2023 तक की अवधि में लगभग अस्सी हजार से चार लाख रुपये तक का आर्थिक नुकसान हुआ है।
मँहगाई भत्ता में हजारों की चपत- श्री अटेरिया ने बताया कि महँगाई भत्ता में भी राज्य के कर्मचारियों का आर्थिक शोषण किया गया है. एक जुलाई 2019 के किश्त 17 प्रतिशत को एक जुलाई 2021 से दिया गया। कोरोना काल के कारण केन्द्र सरकार ने एक जनवरी 2020 से एक जनवरी 2021 के देय कुल 11 प्रतिशत डीए को एक जुलाई 2021 से दिया था, जिससे मँहगाई भत्ता 17 से बढ़कर 28 प्रतिशत हुआ. केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2022 से 34 प्रतिशत, एक जुलाई 2022 से 38 प्रतिशत एवं एक जनवरी 2023 से 42 प्रतिशत महँगाई भत्ता केंद्रीय कर्मचारियों को दिया है, लेकिन छग शासन ने एक जुलाई 2021 से 17 प्रतिशत, एक मई 2022 से 22 प्रतिशत, एक अगस्त 2022 से 28 प्रतिशत एवं एक अक्टूबर 2022 से 33 प्रतिशत महँगाई भत्ता दिया है. इस प्रकार स्पष्ट है कि राज्य सरकार ने केंद्र के देय तिथि से मँहगाई भत्ता नहीं दिया है, जिसके कारण राज्य के कर्मचारियों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। वर्तमान में महँगाई भत्ता स्वीकृति के मामले में देय तिथि से राज्य के कर्मचारी केंद्र के कर्मचारियों से 9 प्रतिशत पीछे चल रहे हैं. जुलाई 2019 से मई 2023 तक राज्य में देय तिथि से महँगाई भत्ता स्वीकृत नहीं होने से कर्मचारियों-अधिकारियों को लगभग पचास हजार से दो लाख रुपये तक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
पुरानी पेंशन में पेंच–
राज्य शासन ने नवीन पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना को एक अप्रैल 2022 से लागू किया है. राज्य शासन ने शिक्षक एल. बी. संवर्ग को संविलियन तिथि 2018 से ओपीएस का लाभ देने का निर्णय लिया है. अर्धवार्षिकी आयु 62 वर्ष पूर्ण कर सेवानिवृत्त होने की स्थिति में पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत पेंशन पात्रता हेतु दस वर्ष की न्यूनतम अहर्तादायी सेवा पूर्ण नहीं होने के कारण अधिसंख्य शिक्षक पेंशन लाभ से वंचित हो जायेंगे. एल. बी. संवर्ग के जो शिक्षक पुरानी पेंशन के दायरे में आएंगे, उन्हें भी 33 वर्ष की सेवा पूर्ण नहीं कर पाने के कारण अत्यल्प अनुपातिक पेंशन ही मिलेगा। इसी को दृष्टिगत रखते हुए संयुक्त मोर्चा ने पेंशन पात्रता हेतु अहर्तादायी सेवा अवधि की गणना शिक्षाकर्मी पद पर प्रथम नियुक्ति तिथि से करने की माँग को प्रमुखता से शामिल किया है।